जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ सीईओ राजेन्द्र त्रिपाठी के सह पर 8542500 का नही है अता पता
मामला सप्ताहिक बजार बैठकी का,जांच पर बड़सकती है राषि
पुष्पराजगढ़
: जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ अपनी भौगौलिक क्षेत्रफल, विविध पर्यावरण
सुन्दरता के साथ मॉ नर्मदा के उदगम स्थली अमरकंटक के नाम से मध्यप्रदेष ही
नही पूरे भारत वर्ष में जाना जाता है। वही दूसरी तरफ तहशील पुष्पराजगढ़ में
एक मात्र 119 ग्राम पंचायतों का जनपद पंचायत है। आदिवासी बाहूल्यता रखने
वाले पुष्पराजगढ़ जनपद में आदिवाशियों के विकास व उत्थान के लिये सरकार
द्वारा समय समय पर कई योजनायें संचालित की जाती रही है,किन्तु इन योजनाओं
का क्रियान्यवन वास्तविकता के धरातल पर नागन्य ही दिखाई देता है,उसकी वजह
जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ में पदस्थ सीईओ व उनके अधिनस्थ कर्मचारियों की
निरकुंसता है।
सूचना का अधिकार अधिनियम बना मजाकः--
जनपद
पंचायत पुष्पराजगढ़ के मुख्य कार्यपालन अधिकारी राजेन्द्र त्रिपाठी वा उनके
मातहत कर्मचारी ग्राम पंचायत सचिव भी अपनी कार्यशैली में सूचना का अधिकार
अधिनियम की धज्जियां उड़ाने में पीछे नही हैं।
किरगी,मोंहदी,दोनिया,सरई,लालपुर पूर्व,खाटी,अमदरी,व भेजरी में लगने वाले
सप्ताहिक बाजार बैठकी से पिछले तीन वर्षों में कितनी राशि प्राप्त
हुई,कितनी राशि का आहरण किया गया,और कितनी राशि पंचायत खाते में शेष है
सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई, किन्तु आज दिनांक तक प्राप्त नही की जा
सकी,पंचायतों में लगने वाले सप्ताहिक बाजार से जहां एक ओर जनता को अपने
उपयोग कि वस्तुएं आसानी से उपलब्ध हो जाती है,वही दूसरी तरफ पंचायतें वँहा
लगने वाले दुकानों के मालिकों से दुकान संचालन के एवज में पैसे वसूल करती
हैं,यह वसूल किए गए पैसे विकाश कार्य मे खर्च किया जाता है, ग्राम पंचायतें
बैठकी वसूली का कार्य बोली के माध्यम से ठेका देकर ठेकेदार से करवाती
है,अग्रलिखित ग्राम पंचायतों के पिछले तीन वर्षों में दिये गये ठेके उससे
प्राप्त हुई राषि और उसका किया गया व्यय के नाम पर सरद द्विवेदी व पुष्पराज
सिंह ने जानकारी मांगी थी,तानाशाही रवैया के आदि हो चुके सरपंच सचिवों ने
जब जानकारी देने से आना कानी करने लगे तब दोनो उक्त जानकारी प्राप्त करने
के उद्देश्य से जनपद पंचायत में दूसरी अपील कर अग्रलिखित सूचना प्राप्त
करनी चाही पर वँहा भी निरंकुशता के आदि हो चुके सीईओ के मातहत टाल-मटोल ही
करते रहे,कुछ जानकारी तो दी गई लेकिन दी गई जानकारी मांगी गई जानकारी से
भिन्न थी,जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ सीईओ और सचिवों द्वारा 2005 सूचना के
अधिकार अधिनियम कि खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रहीं है,जानकारी नही मिलने पर
दोनों नव यूवक शरद दुवेदी और पुष्पराज सिंह इसकी शिकायत पुष्पराजगढ़
एस.डी.एम के.बालागुरु एवं जिला पंचायत सीईओ से की साथ ही पूरा मामला मीडिया
के सामने भी रखा है।
181 की उड़ाई गई धज्जिया मुख्यमंत्री
षिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांछी योजना डायल 181 कि जनपद पंचायत
पुष्पराजगढ़ द्वारा धज्जिया उड़ाई जा रही है डायल 181 योजना जब षुरू की गई थी
तब इसका उद्वेष्य सीधे जनता से संवाद कर उनकी परेषानियो को हल करना तथा
प्रषासन की कमियो पर खुद प्रदेष के मुखिया षिवराज सिंह चौहान द्वारा
मानीटरिंग कर दुरूस्त करने की थी किन्तु 181 पुष्पराजगढ़ की जनता के लिये
महज दिखावा बन के रह गई है यहा पदस्थ अधिकरी 181 पर की गई षिकायतो की गलत
जानकारी प्रदेष के मुखिया तक पहुंचा रहे है इस तरह गलत जानकारी भेजने की
बड़ी संख्या है उसके अंष कुछ इस प्रकार है 5311312, 5311387, 5328546,
5784276, 5318852, षिकायत क्रमांको में लगातार गलत जानकारी देकर गुमराह
करते रहे और प्रदेष के मुखिया को उचित जानकारी तक नही दे सके हद तो तब हो
गई जब पुष्पराज सिंह द्वारा डायल 181 में षिकायत क्रमांक 5311312 में 26
जून 2018 में मुख्यकार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ के प्रतिवेदन
के अनुसार षिकायत सूचना के अधिकार से सम्बधित है सूचना अधिकार 2005 की धारा
19(1) के तहत षिकायत कर्ता के द्वारा इस कार्यालय में प्रथम अपील प्रस्तुत
की गई है प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा सुनवाई की जा रही है और साथ ही यह
लिख दिया जाता है षिकायत बन्द की जाये 25 जून 20108 षिकायत निराकरण एल (3)
अधिकारी द्वारा दर्ज किया गया है 25 जून को फिर सीईओ राजेन्द्र त्रिपाठी
द्वारा षिकायत बन्द करने को कहा गया है यह फेहरिस्त इतनी लंबी है कि षिकायत
क्रमांक 5311312 को यदि प्रिन्ट आउट कराकर देखा जाये तो 15 से 20 पन्ने कम
पड़ जायेगें लेकिन न तो पुष्पराज सिंह को आज दिंनाक तक जानकारी मिली और न
डायल 181 के माध्यम से न्याय मिला यह षिकायत प्रथम बार 12.01.2018 को 181
पर दर्ज कराई गई थी
सप्ताहिक बजार नीलामी की सूचीग्राम
पंचायत सरई 2016.17 ठेकेदार सुनिल सिंह द्वारा 291000 में लिया गाया था
2017.18 ठेकेदार यदुवंष द्वारा 293000 में लिया गया था इनके द्वारा पंचायत
मे कितनी राषि जमा की गई है उसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है यदि उपलब्ध है
तो सूचना के आधिकार अधिनियम 2005 के तहत जानकारी क्यों उपलब्ध नहीं कराई
जा रहीं है इसीक्रम में ग्राम पंचायत बरांझ ठेकेदार का नाम गोविन्द बजांरा
राषि 60000 हंसराम 70000 ग्राम पंचायत दोनिया ठेकेदार का नाम समय सिंह राषि
70000 सेवाराम सिंह 78000 ग्राम पंचायत भेजरी ठेकेदार का नाम स्वामीदीन
110000 बब्बू नायक 110000 ग्राम पंचायत लीलाटोला ठेकेदार का नाम मनबोध
विष्वकर्मा 190000 दोमल सिंह उद्दे 210000 ग्राम पंचायत दमेहड़ी ठेकेदार का
नाम रामगोपाल सिंह 400000 षिवकुमार सेन 515000 ग्राम पंचायत बिलासपुर
ठेकेदार का नाम षम्भूसिंह 285000 शम्भू सिंह 210000 ग्राम पंचायत लालपुर
पूर्व ठेकेदार का नाम षिवकुमार नापित 114000 किषनलाल 583000 ग्राम पंचायत
देवरा ठेकेदार का नाम मन्ना सिंह 60000 मन्ना सिंह 118000 ग्राम पंचायत
पड़मनिया ठेकेदार का नाम षिवलाल नोहरा 7000 गोमती 6000 ग्राम पंचायत मोंहदी
ठेकेदार का नाम अमरजिया बाई 115000 सीताबाई 462000 ग्राम पंचायत करपा
ठेकेदार का नाम अवतरा सिंह 230000 कन्ना नायक 205000 ग्राम पंचायत लेड़रा
ठेकेदार का नाम लाल सिंह 300000 चितरंजन सिंह 295000 ग्राम पंचायत
हर्राटोला ठेकेदार का नाम (2016-17)में नीलामी नही की गई शम्भू सिंह नेटी
75000 ग्राम पंचायत कोड़ार ठेकेदार का नाम दुर्गेष सिंह मराबी 83000 कमल
सिंह परस्ते 20000 ग्राम पंचायत मिट्ठूमहुआ ठेकेदार का नाम नरसिंह 105000
वीरेन्द्र भान सिंह 190000 ग्राम पंचायत किरगी ठेकेदार का नाम शषांक शेखर
जायसवाल 991000 प्रिंस कुमार जायसवाल 1240000 ग्राम पंचायत अमदरी ठेकेदार
का नाम सुनील कुमार 301500 ओमकार सिंह 150000 समस्त ग्राम पंचायते ठेकेदार
को ठेका तो देती है लेकिन ठेके से प्राप्त आय व्यय का हिसाब सूचना के
अधिकार नियम के तहत देने से आनाकानी करती है य तो ठेके से प्राप्त हुई आय
पंचायत के खाता में जमा नही की गई है या इसका हिस्सा उच्चअधिकारियो को
पहुचाया गया है चाहे जो हो जनपद की गाड़ी कमाई का खुलेआम बन्दरबाट किया जा
रहा है
ग्राम पंचायत भेजरी में ठेकेदार ही बदल गयाग्राम
पंचायत भेजरी में जिस ठेकेदार को सप्ताहिक बजार बैठकी वसूली का ठेका दिया
गया जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ की भररेसाही से ठेकेदार व ठेके की राषि ही बदल
गई 2016-17 में ठेकेदार सूरत सिंह को 135000 में बोली के माध्यम से ग्राम
पंचायत द्वारा सप्ताहिक बजार वसूली का ठेका दिया गया था भररेसाही की बानगी
तो देखिये ग्राम पंचायत भेजरी का ठेकेदार ही बदल दिया गया 2015-16 में
डिफाल्टर हुये ठेकेदार स्वामीदीन को 110000 में ठेका दे दिया गया जबकि
रिर्काडो को खंगाला जाये तो स्वामीदीन 2016-17 में बोली ही नही बोला था ठीक
इसी क्रम में 2017-18 में 285000 में स्वसहायता भवन में ठेका वीरन सिंह को
प्राप्त हुआ था इस सत्र में भी बोली में हिस्सा न लेने वाले बब्बू नायक को
110000 में ठेका दे दिया गया पहले हुये सप्ताहिक बजार के ठेके किस नियम से
बदले गये समझ के परे है किस नियम के तहत बब्बू नायक व स्वामी दीन बजार
बैठकी की वसूली करते रहे और ग्राम पंचायत सहित जनपद पंचायत के आला अधिकारी
मौन रहे क्या इस तरीके का कृत्य आई पी सी की
सीइओ राजेन्द्र त्रिपाठी के कार्यकाल में नही हुई बोलीजनपद
पंचायत पुष्पराजगढ़ में पदस्थ सीईओ राजेन्द्र त्रिपाठी जहां पिछले हुये
सप्ताहिक बजारो के ठेके की राषि गबन का हिसाब सूचना के अधिकार अधिनियम 2005
(1) के तहत उपलब्ध नही करा रहे है वही सत्र 2018-19 मे अपने तानासाही
रवैया अपनाकर सप्ताहिक बाजारों की बोली नही लगने दी जो राषि ठेकेदार के
माध्यम से ग्राम पंचायतो में आनी चाहिये क्या बोली नही होने से उतनी राषि
पंचायत द्वारा वसूल की जा सकती है जहां बोली के माध्यम से पड़े लिखे
बेरोजगारो को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता था उसकी जगह बोली न होने से कई
यूवक बेरोजगार रह गये साथ ही पुष्पराजगढ़ जनपद में सप्ताहिक बाजार जब से
संचालित हो रहे है यह पहला वाक्या है जब बोली नही लगाई गई आखिर ऐसा किस
नियम के तहत हुआ किसी के समझ में नही आ रहा जबकि खुद सीइओ द्वारा सीसीटीवी
कैमरे की निगरानी पर दो सप्ताह का समय ईक्छुक ठेकेदारो को बोली हेतु दिया
गया था अचानक आखिर कौन सी घटना आन पड़ी कि बजार बैठकी बोली ही बन्द कर दी गई
साथ ही किसी ठेकेदार को आज दिनांक तक कोई सूचना नही दी गई ग्राम पंचायत
किरगी में 1500 रूपये की रसीद दिनांक 22.04.2018 बाल्मीक गौतम पिता
रामावतार गौतम दैनिक वसूली हेतु राषि लेकर वसूली करने के लिये अधिकृत किया
गया था जब बाल्मीक गौतम बैठकी वसूली करने बाजार पहुंचा उससे पहले ही पंचायत
द्वारा राषि बाजार से वसूल कर ली गई बाल्मीक गौतम के पास बकायदा 1500
रूपये की सरपंच द्वारा हस्ताक्षरित रसीद है आखिर माजरा क्या है ये तो सीईओ
राजेन्द्र त्रिपाठी य संबधित पंचायत जाने ठेकेदारो के समझ से परे है ।
धारा 420 के तहत नही आती
किन्तु ’जब सईया भये कोतवाल तो डर काहे का‘ के तर्ज में जनपद पंचायत सीईओ
राजेन्द्र त्रिपाठी और उनके मातहत मनमानी करते रहे