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शनिवार, 14 जुलाई 2018
ग्रामीण विकास कार्यो में कसावट लाने जिपं. सीईओ का ग्रामीण क्षेत्रो में भ्रमण
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किरर घाट चढ़ रही डंफर में शॉट-सर्किट से लगी आग
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बिजुरी पुलिस ने १३ वाहनो से वसूले २०७५० रूपए, ओव्हर लोड वाहन किए जब्त
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पीकअप व मोटर साईकिल में भिड़त, उपचार के दौरान महिला की मौत, एक गंभीर
शुक्रवार, 13 जुलाई 2018
नगर युवाओ ने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को सामुदायिक केन्द्र के उन्नयन की मांग पर अडे
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सब्जी विक्रताओं से स्वेछानुसार लेते सब्जी दान, गरीब,
अनूपपुर। जनपद पंचायत
पुष्पराजगढ़ में बीएसडब्ल्यू के छात्रो एवं समाजेसेवियों द्वारा गरीब बच्चो एवं
बैगा जनजातियों के लिए नि:शुल्क सब्जी वितरित किए जाने के लिए सब्जी बैंक का
प्रारंभ किया गया। जिसके माध्यम से प्रत्येक रविवार को राजेन्द्रग्राम में लगने वाले
साप्ताहिक बाजार में लगने वाले प्रत्येक दुकानों में जा कर उनसे स्वेच्छानुसार
सब्जी दान करने का निवेदन करते हुए प्रत्येक रविवार को साप्ताहिक बाजार में 50 से
70 सब्जी व्यापारियों से सब्जी एकत्रित कर आसपास के गरीब बैगा जनजाति के बच्चों, आश्रम, छात्रावास, स्कूल एवं उनके
घरो में पहुंचा देते है। जिससे उन परिवारो व बच्चो को सप्ताह भर सब्जियों के सेवन
का लाभ मिलता है। उक्त सब्जी बैंक द्वारा अब तक 8 से 10 क्विंटल सब्जी एकत्रित की
जा चुकी है। वहीं सब्जी बैंक को चलाने में समाजसेवी बाल्मिक जायसवाल और अंशु
केशरवानी का विशेष योगदान रहा इसके साथ सब्जी बैंक को सफल बनाने में बीएसडब्ल्यू
के छात्र जितेंद्र जायसवाल, अजय कुशवाहा, निर्मल गौतम, हिमांशु सोनी, अभिषेक पांडेय, शिवानंद गौतम, मयंक ठाकुर, उदयभान, अनिंद्रा एवं
राजेंद्रग्राम के ग्रामीण राजू सेन, रमेश जयसवाल, मोनू सिंह, सागर सेन, राजा, जागेश्वर आदि
का विशेष सहयोग रहा है।
अनिमितता मामले में उपयंत्री अंशुल एवं सचिव कुंजी लाल को कारण बताओं नोटिस जारी
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४० वर्षीय महिला की उसके ही घर में मिला शव
अनूपपुर। कोतवाली थाना अंतर्गत
ग्राम पंचायत परसवार के ग्राम खोलीटोला में गुरूवार १२ जुलाई की दोपहर ४० वर्षीय
महिला बंतीबाई कोल पति राजू कोल की संदिग्ध अवस्था में शव घर में मिला। जहां
परिजनों ने सूचना कोतवाली पुलिस को दी। शाम को मौके पर पहुंची पुलिस ने शव का
पंचनामा तैयार कर शव को पीएम के लिए जिला जिला चिकित्सालय भेजा गया। जहां १३ जुलाई
की सुबह पीएम उपरांत शव परिजनों को सौंप दिया गया। वहीं पुलिस ने मामले की जांच में
दो संदेहियों जिनमें मृतिका की बहन व उसके पति को हिरासत में लेते हुए पूछताछ कर
रही है। वहीं मृतिका का पति राजू कोल मौके से ही फरार बताया जा रहा है। मामले की
जानकारी देते हुए कोतवाली प्रभारी कोतवाली प्रफ्फूल राय ने बताया कि संदेहियों से
पूछताछ की जा रही है वहीं प्रथम दृष्टितया पति द्वारा शराब पीने के लिए पत्नी से
पैसे की मांग करना सामने आया है, जहां पत्नी की मनाही के बाद पति ने पास रखे लकडी के पीढा से
उसके सर पर वार किया जिससे संभवत: उसकी मौत हो गई। फिलहाल पीएम रिपोर्ट के बाद ही
सही जानकारी सामने आ सकेगी। फिलहाल पुलिस पकडे गए संदेहियों से पूछताछ करने के साथ
ही फरार पति की पतासाजी में जुटी हुई है।
नपा कार्यालय के गेट में ताला लगा नपा कर्मचारी अनिश्चिकालीन हड़ताल में
पूरा शहर में कचरे के ढ़ेर में सफाई, पानी, बिजली की सुविधाएंं बंद
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को वर्तमान तक नियमित नहीं किया गया है, जबकि निकायों के सेवाभर्ती नियमों में उनके पदों का समावेश वर्ष 15 में किया जा चुका है तथा निकायों के स्थापना व्यय की सीमा 65 प्रतिशत के स्थान पर 70 प्रतिशत किया जाना शामिल हैं।
वार्डो में पानी के लिए तरसे
वार्डवासी
निकाय अधिकारियों व कर्मचारियों
की हड़ताल में अनूपपुर नगरपालिका में हड़ताल का व्यापक असर दिखा। गुरूवार को पानी
के लिए नगरवासी त्रस्त नजर आए। हड़ताल में नगरपालिका के सप्लाय पानी टैंकर के
भरोसे जीवन निर्वहन करने वाले लोगों के घर पानी की आपूर्ति नहीं हो सकी। पानी के
लिए लोग एक वार्ड से दूसरे वार्ड तक दिनभर दौड़ लगाते नजर आए। यहीं हाल बिजुरी
नगरपालिका में भी नजर आया, कोल खदानों के कारण पानी की समस्या से जूझ रहे वार्डवासियों
को आज बिना पानी ही दिन गुजारना पड़ा।
ईवीएम एवं वीवीपीएटी के जनजागरूकता हेतु तीनों विधानसभा में रथ के माध्यम से होगा प्रचार प्रसार
तीन बेटियां जन्मी तो पति ने पत्नी को घर से निकाला, जांच में पुलिस
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इनका का कहना है
यह मामला थाना अमरकंटक में आया
है। धारा 323,294,506,498 के तहत दर्ज कर घरेलू झगडे की
तरह देख जांच की जा रही थी। अब अगर तीन बच्चियों की वजह से घर से निकालने की बात
सामने आ रही है तो इसकी जांच कराकर सच्चाई तक पहुंची जाएगी।
भानू प्रताप सिंह, थाना प्रभारी अमरकंटकवाहन की ठोकर में बाइक सवार घायल
अनूपपुर। राष्ट्रीय
राजमार्ग 43 पर
बसखल गांव तिराहा के पास वाहन ने बाइक सवार वृद्ध को ठोकर मारकर घायल कर दिया।
पुलिस से मिली जानकारी अनुसार 13 जुलाई को थान गांव निवासी नानबाई पति गोपाल केवट पिता
शिवकरण केवट दोनों कोतमा से थानगांव की ओर अपनी बाइक सीजी 16 डी 2473 से जा रहे थे, तभी कोतमा की
तरफ से मनेन्द्रगढ की ओर जा रही वाहन एमपी
20 जीए 6708 का चालक
लापरवाही पूर्वक वाहन चलाते हुए तेज रफ्तार में बाइक को पीछे से ठोकर मार दी।
जिससे दोनों बाइक सवार गिरकर घायल हो गए। तत्काल ही ग्रामीणों ने घायलों को उपचार
के लिए कोतमा अस्पताल भेजवाया। जबकि गंभीर हालत को देखते हुए दोनों वृद्धों को
जिला अस्पताल अनूपपुर के लिए रेफर कर दिया गया। लोगो ने बताया वाहन चालक शराब के
नशे की हालत में था। पुलिस ने वाहन चालक प्रीतम बैरागी निवासी जबलपुर को पकड थाना
में बैठाया है।
इंगांराजवि में 14 जिलों के 185 छात्रों पांच दिवसीय इंस्पायर लिया हिस्सा
अनूपपुर। विज्ञान के
गूढ़ तथ्यों को आसान तरीके से समझाने के उद्देश्य से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय
जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकटंक के तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय इंस्पायर
इंटरनशिप साइंस कैंप विगत दिवस संपन्न हुआ। कार्यक्रम में देशभर से आए 11
वैज्ञानिकों ने मध्यप्रदेश के 14 जिलों के 185
छात्र-छात्राओं को तथ्यात्मक जानकारी के साथ प्रयोग करवाए जिससे उनकी विज्ञान के
विभिन्न विषयों में रूचि और अधिक बढ़ी। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय
के सहयोग से देश के सभी राज्यों में इननोवेशन इन साइंस परस्युट फॉर इंस्पायर्ड
रिसर्च (इंस्पायर) कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस बार प्रदेश के लिए
इंगांराजवि को चुना गया था। विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के तत्वावधान में
आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को
चुना गया जिनकी विज्ञान में रूचि है और जिनका शैक्षणिक रिकार्ड उत्कृष्ठ रहा है।
इंस्पायर के संयोजक डॉ. संदीप
कौशिक ने बताया कि पांच दिवसीय कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय, पं.रविशंकर
शुक्ला रायपुर,
रानी दुर्गावती जबलपुर और गुरु घासीदास
बिलासपुर विश्वविद्यालय के प्रमुख शिक्षाविदों ने विज्ञान से जुड़े विभिन्न
विषयों के बारे में रोचक तरीके से छात्रों को जानकारी प्रदान की। इसमें पानी को
लेकर पैदा हो रही चुनौतियां, ग्रीन एनर्जी और मनुष्य द्वारा वर्षा जैसे विषय शामिल रहे।
अतिथि व्याख्यान के साथ रसायन, भौतिकी, पर्यावरण, फार्मेसी, गणित, जीव विज्ञान आदि की लैब में छात्रों को विभिन्न प्रकार के
प्रयोग करवाकर उनकी वैज्ञानिक क्षमता को और अधिक विस्तार दिया। उत्साहित
छात्र-छात्राएं अधिकांश वैज्ञानिक बनकर देश के विकास में योगदान देने के लिए
प्रोत्साहित हुए। इस अवसर पर कुलपति प्रो.टी.वी.कटटीमनी ने सभी प्रतिभागी
छात्र-छात्राओं को विज्ञान में नित नए अवसरों की जानकारी प्रदान करते हुए उन्हें
विज्ञान के क्षेत्र में स्वयं का करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में
अनूपपुर, जबलपुर, शहडोल, ङ्क्षभड, उमरिया सहित १४
जिलों के छात्रों ने भाग लिया।
गुरुवार, 12 जुलाई 2018
घुंघरू की तरह बजता ही रहा हूं मैं...
मनोज द्विवेदी
अनूपपुर / भारतीय लोकतंत्र १९४७ के बाद निरंतर उठाए गये मजबूती के तमाम कदमों के बावजूद सिस्टम , नेता, मतदाता की जटिल केमिस्ट्री मे उलझ कर रह गया है। यह जटिलता आपसी अविश्वास की हद तक जा पहुंचने के कारण देश को भीडतंत्र का गुलाम बना रहा है। कहने को विधायिका,न्यायपालिका, कार्यपालिका जैसे मजबूत तंत्र के साथ मीडिया जैसे चॊथे तंत्र की उपस्थिति जनता मे विश्वास बनाए रखता है। लेकिन स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था मे जब तक सभी तबके की जवाबदेही तय नही होती, जब तक अधिकार - कर्तव्य का समन्वय स्थापित नही होता तब तक समानता की कल्पना करना बेमानी है।
* वर्तमान परिवेश मे राजनेता समाज मे मजाक या गाली का पर्याय बन कर रह गया है। राजनेता या जनप्रतिनिधि महत्वपूर्ण कार्य करते हुए भी हेय हो गये। पढा लिखा वर्ग हो या अनपढ तबका ,हर वर्ग के लिये अपरिहार्य होने के बावजूद नेता स्वीकार्य इसलिये नही है कि सार्वजनिक रुप से इनका आचरण अनुकरणीय नही रहा। नेता ,नेतृत्व का पर्याय कभी नही बन सका। जनता के कन्धो पर सवार यह वर्ग अपनी सम्पन्नता बढाता रहा।कुछ लोगों के निम्नतर आचरण ने राजनीति को अपरिहार्य बीमारी सा बना दिया।
* सरकार बनाने के लिये चुनाव जीतने की अनिवार्यता ने लोकतंत्र मे मतदाता को अन्तिम महत्वपूर्ण शक्ति बना दिया । वोट के लिये जो जनकल्याणकारी कार्य एवं सतत समाजसेवा किये जाने चाहिये उसकी जगह राजनैतिक दलों ,नेताओं को कर्मठ न बनाकर मौकापरस्त बना दिया। येन केन प्रकारेण चुनाव जीतने की बहुत सी कलाएं विकसित हुईं। जाति,भाषा ,धर्म,प्रान्त को मुद्दा बनाया गया। योग्यता की जगह बाहुबल,धनबल ने लिया तो लोकतंत्र कब भीडतंत्र मे बदल गया पता ही नहीं चला।
* चुनाव लडने मे धनबल - जनबल की स्वीकार्यता निर्वाचन आयोग भी देता है। वायदों को पूरा करने अनिवार्यता न होने से राजनीतिक दलों की जनता के प्रति जवाबदेही तय नही होती ।जिसके कारण पांच साल वे पलट कर जनता के पास नही जाते। मतदाता भी चुनाव को उत्सव की तरह लेता है,जिसमें भरपूर मनोरंजन, पैसा, शक्तिप्रदर्शन होता है। निर्वाचन पैसा, बाहुबल , साधन संपन्नता का गेम होने के कारण कबड्डी जैसा हो गया है। जिसमे टांग खिंचाई मे कुशलता ही सफलता का पैमाना है।
* ऐसी दशा मे भीड को पालना, उनकी मनमानी सहना अराजकता की खुली छूट देता है। भारत एक ऐसा देश है जहाँ भीड पर किसी का नियंत्रण नहीं । अफवाह पर भीड हिंसक हो जाती है। लूट,आगजनी,तोडफोड,बलात्कार तक होता है। भीड का कोई चेहरा नही होता कहकर कोई कडी कार्यवाही नही होती।
बलात्कार, आगजनी,लूट,हत्या,तोडफोड के सिद्ध मामलों मे आरोपियों को मताधिकार से वंचित करना होगा। जब यह होगा तो कोई दल,कोई नेता इन्हे प्रश्रय नही देगा। तब नियम कायदों के साथ लोग समाज के प्रति जिम्मेदारी समझेगें।
* पूरे समय हो मतदान-- वर्तमान मे पांच साल मे एकबार मतदान की व्यवस्था है। क्या ऐसा हो सकता है कि नगरपालिका, विधानसभा, लोकसभा के लिये पांच साल के लिये इच्छुक प्रत्याशियों के नामांकन उपरान्त जनता पूरे चार साल छ: माह तक एसडीएम / कलेक्ट्रेट कार्यालय मे कभी भी एकबार मतदान करे। प्रत्याशी को किसी प्रकार के प्रचार - प्रसार ,जनसभा,पोस्टर- पंपलेट की अनुमति न हो। ऐसा करना अयोग्यता की श्रेणी मे माना जाए। तब प्रत्याशी का कार्य व्यवहार,उसका आचरण ही उसकी पहचान होगा। मतगणना उपरांत सर्वाधिक मत पाने वाला विजयी घोषित हो। तब लोग कार्य करेगें,बकवास नहीं ।
* विचार करें कि जब पांच साल मतदान की व्यवस्था होगी तो निर्वाचन एक आम प्रक्रिया होगी। तब निर्वाचन के नाम पर न आचार संहिता के नाम पर विकास कार्य बन्द होंगे, न ही प्रशासन- शासन ठप्प होगा। चुनाव के नाम पर न समय बर्बाद होगा , न ही धन। तब जनप्रतिनिधि- मतदाता सभी की जवाबदेही तय होगी। नेता - जनता चुनाव के समय एक दूसरे को झेलने के बाध्य नही होगे। तब पूरे पांच साल नेता समाजसेवी की तरह जनता के बीच होगा ।
** किसी लोकप्रिय हिन्दी फिल्म का यह गाना " घुंघरू की तरह बजता ही रहा हूं मैं " न जनता पर लागू होगा , न ही विधायिका- कार्यपालिका- न्यायपालिका पर। जब सबकी बराबर जवाबदेही तय होगी तब स्वस्थ लोकतंत्र उक्त तीन पायों के साथ मीडिया व आमजनता रुपी पांच मजबूत पायों के साथ अपेक्षाकृत अधिक मजबूत होगा।
( वन्देमातरम्)
अनूपपुर / भारतीय लोकतंत्र १९४७ के बाद निरंतर उठाए गये मजबूती के तमाम कदमों के बावजूद सिस्टम , नेता, मतदाता की जटिल केमिस्ट्री मे उलझ कर रह गया है। यह जटिलता आपसी अविश्वास की हद तक जा पहुंचने के कारण देश को भीडतंत्र का गुलाम बना रहा है। कहने को विधायिका,न्यायपालिका, कार्यपालिका जैसे मजबूत तंत्र के साथ मीडिया जैसे चॊथे तंत्र की उपस्थिति जनता मे विश्वास बनाए रखता है। लेकिन स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था मे जब तक सभी तबके की जवाबदेही तय नही होती, जब तक अधिकार - कर्तव्य का समन्वय स्थापित नही होता तब तक समानता की कल्पना करना बेमानी है।
* वर्तमान परिवेश मे राजनेता समाज मे मजाक या गाली का पर्याय बन कर रह गया है। राजनेता या जनप्रतिनिधि महत्वपूर्ण कार्य करते हुए भी हेय हो गये। पढा लिखा वर्ग हो या अनपढ तबका ,हर वर्ग के लिये अपरिहार्य होने के बावजूद नेता स्वीकार्य इसलिये नही है कि सार्वजनिक रुप से इनका आचरण अनुकरणीय नही रहा। नेता ,नेतृत्व का पर्याय कभी नही बन सका। जनता के कन्धो पर सवार यह वर्ग अपनी सम्पन्नता बढाता रहा।कुछ लोगों के निम्नतर आचरण ने राजनीति को अपरिहार्य बीमारी सा बना दिया।
* सरकार बनाने के लिये चुनाव जीतने की अनिवार्यता ने लोकतंत्र मे मतदाता को अन्तिम महत्वपूर्ण शक्ति बना दिया । वोट के लिये जो जनकल्याणकारी कार्य एवं सतत समाजसेवा किये जाने चाहिये उसकी जगह राजनैतिक दलों ,नेताओं को कर्मठ न बनाकर मौकापरस्त बना दिया। येन केन प्रकारेण चुनाव जीतने की बहुत सी कलाएं विकसित हुईं। जाति,भाषा ,धर्म,प्रान्त को मुद्दा बनाया गया। योग्यता की जगह बाहुबल,धनबल ने लिया तो लोकतंत्र कब भीडतंत्र मे बदल गया पता ही नहीं चला।
* चुनाव लडने मे धनबल - जनबल की स्वीकार्यता निर्वाचन आयोग भी देता है। वायदों को पूरा करने अनिवार्यता न होने से राजनीतिक दलों की जनता के प्रति जवाबदेही तय नही होती ।जिसके कारण पांच साल वे पलट कर जनता के पास नही जाते। मतदाता भी चुनाव को उत्सव की तरह लेता है,जिसमें भरपूर मनोरंजन, पैसा, शक्तिप्रदर्शन होता है। निर्वाचन पैसा, बाहुबल , साधन संपन्नता का गेम होने के कारण कबड्डी जैसा हो गया है। जिसमे टांग खिंचाई मे कुशलता ही सफलता का पैमाना है।
* ऐसी दशा मे भीड को पालना, उनकी मनमानी सहना अराजकता की खुली छूट देता है। भारत एक ऐसा देश है जहाँ भीड पर किसी का नियंत्रण नहीं । अफवाह पर भीड हिंसक हो जाती है। लूट,आगजनी,तोडफोड,बलात्कार तक होता है। भीड का कोई चेहरा नही होता कहकर कोई कडी कार्यवाही नही होती।
बलात्कार, आगजनी,लूट,हत्या,तोडफोड के सिद्ध मामलों मे आरोपियों को मताधिकार से वंचित करना होगा। जब यह होगा तो कोई दल,कोई नेता इन्हे प्रश्रय नही देगा। तब नियम कायदों के साथ लोग समाज के प्रति जिम्मेदारी समझेगें।
* पूरे समय हो मतदान-- वर्तमान मे पांच साल मे एकबार मतदान की व्यवस्था है। क्या ऐसा हो सकता है कि नगरपालिका, विधानसभा, लोकसभा के लिये पांच साल के लिये इच्छुक प्रत्याशियों के नामांकन उपरान्त जनता पूरे चार साल छ: माह तक एसडीएम / कलेक्ट्रेट कार्यालय मे कभी भी एकबार मतदान करे। प्रत्याशी को किसी प्रकार के प्रचार - प्रसार ,जनसभा,पोस्टर- पंपलेट की अनुमति न हो। ऐसा करना अयोग्यता की श्रेणी मे माना जाए। तब प्रत्याशी का कार्य व्यवहार,उसका आचरण ही उसकी पहचान होगा। मतगणना उपरांत सर्वाधिक मत पाने वाला विजयी घोषित हो। तब लोग कार्य करेगें,बकवास नहीं ।
* विचार करें कि जब पांच साल मतदान की व्यवस्था होगी तो निर्वाचन एक आम प्रक्रिया होगी। तब निर्वाचन के नाम पर न आचार संहिता के नाम पर विकास कार्य बन्द होंगे, न ही प्रशासन- शासन ठप्प होगा। चुनाव के नाम पर न समय बर्बाद होगा , न ही धन। तब जनप्रतिनिधि- मतदाता सभी की जवाबदेही तय होगी। नेता - जनता चुनाव के समय एक दूसरे को झेलने के बाध्य नही होगे। तब पूरे पांच साल नेता समाजसेवी की तरह जनता के बीच होगा ।
** किसी लोकप्रिय हिन्दी फिल्म का यह गाना " घुंघरू की तरह बजता ही रहा हूं मैं " न जनता पर लागू होगा , न ही विधायिका- कार्यपालिका- न्यायपालिका पर। जब सबकी बराबर जवाबदेही तय होगी तब स्वस्थ लोकतंत्र उक्त तीन पायों के साथ मीडिया व आमजनता रुपी पांच मजबूत पायों के साथ अपेक्षाकृत अधिक मजबूत होगा।
( वन्देमातरम्)
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