नर्मदा मंदिर एवं जिला प्रशासन
का उत्कृष्ट प्रयास
अनूपपुर। प्रकृति की गोद
मे बसा अनूपपुर का अमरकंटक क्षेत्र पूरे प्रदेश मे पर्यावरण के प्रति जागरूकता
लाने का केंद्र रहा है। पूरे प्रदेश मे पर्यावरण एवं नदियों के संरक्षण प्रति
जागृति लाने के उद्देश्य से की गयी
नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा का प्रारम्भ एवं
समापन इसी क्षेत्र मे हुआ है। इस यात्रा ने प्रदेश नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व मे
जल संरक्षण एवं जीवनदायिनी नदियों के पुनर्जीवन हेतु अलख जगाई। जीवन को शांति
पूर्वक जीने एवं प्रगति पथ पर सदैव आगे बढ़ते रहना यहाँ की स्वाभाविक वृत्ति है।
गत वर्ष नर्मदा नदी के तटीय क्षेत्रो मे किये गए वृक्षारोपण मे स्थानीय जनो की
सहभागिता यहाँ के लोगों की पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता को निरूपित करती है।
संभागायुक्त ने कहां कि आज
क्षेत्र के लिए गौरव का दिन है। प्रकृति के संरक्षण मे समुदाय की सहभागिता नितांत
आवश्यक है। आमजनों के सहयोग के बिना पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन की संकल्पना
अधूरी है। उक्त विचार संभागायुक्त जे के जैन ने नर्मदा मंदिर मे पूजित पौधों को
प्रसाद के रूप मे प्रदान करने की पहल की शुरुआत मे व्यक्त किए। आपने कहा पर्यावरण
संरक्षण केवल व्यक्ति विशेष, शासन की जिम्मेदारी नहीं अपितु समस्त समुदाय की जिम्मेदारी
है। इस अभियान की सफलता सभी की सक्रिय सहभागिता पर आधारित है। आपने कहा पौधप्रसाद
की पहल का मुख्य लक्ष्य अधिकाधिक पौधारोपण,उनके संरक्षण के साथ, प्रकृति के
प्रति जिम्मेदारी व लगाव का भाव लाना है। पूजित पौधों के प्रति श्रद्घा के भाव से
पर्यावरण संरक्षण का भाव लाने हेतु यह पहल की गयी है। श्री जैन ने समस्त
दर्शनार्थियों से आग्रह किया है कि प्रसाद मे प्राप्त पौधों का रोपण कर उनकी सेवा
कर उन्हे वृक्ष का रूप प्रदान करें। साथ ही अपने आस पास के लोगों मे भी पर्यावरण
के प्रति जागरूकता का भाव लाने का प्रयास करें।
इस अवसर पर मुख्य वन संरक्षक
ए.के.जोशी ने कहां कि वर्तमान समय मे लगभग सभी नागरिक मनुष्य के विकृत आचरण से
पर्यावरण मे पड रहे दुष्प्रभाव से परिचित हैं। परंतु जानकारी का होना और उसको आचरण
मे लाना दो पृथक विषय हैं। इसके लिए स्व्प्रेरणा आवश्यक है। इसी स्व्प्रेरणा की
अनुभूति हेतु यह अभियान लाया गया है। यह जन जन का अभियान है। श्री जोशी ने बताया
यदि दर्शनार्थी अपने घर मे ले जाकर वृक्षो को लालन पालन करना चाहते हैं तो वे पौधे
अपने साथ ले जाए अगर किसी कारण वश ऐसा कर पाने मे वे असमर्थ हैं तो वृक्षारोपण
हेतु भूखंड का चयन पौधों की प्रजाति के अनुकूल किया जा चुका है। दर्शनार्थी उन
पौधों का रोपण चिन्हित स्थलों मे कर सकेंगे। चिन्हित स्थलों मे पौधों का रखरखाव वन
विभाग द्वारा किया जाएगा।
कलेक्टर अनुग्रह पी ने कहां कि
संभागायुक्त की इस पहल को सफल बनाने मे जिला प्रशासन एवं नर्मदा मंदिर अमरकंटक के
प्रयास के साथ आम जानो का सहयोग आवश्यक है। यह प्रयास पर्यावरण संरक्षण के प्रति
लोगों के जु$डाव के
लिए है। यह जुड़ाव न सिर्फ अमरकंटक क्षेत्र वरन समस्त मानव जाति के लिए उदाहरण
बनेगा।
गोबर से बने गमलों से पर्यावरण संरक्षण
एवं पौधो को पोषकतत्वों को प्रदान करने की पहल
इस कार्यक्रम मे जिला प्रशासन
द्वारा गोबर से बने गमलों के माध्यम से पौधों को प्रदान करने की पहल भी की गयी।
साथ ही गोबर से गमलों को बनाने की मशीन का भी प्रदर्शन कृषि विभाग द्वारा उपस्थित
आगन्तुको के समक्ष किया गया। गोबर के गमलों से न केवल पशुपालक को अतिरिक्त लाभ
प्राप्त होगा साथ यह ही ऐरा प्रथा की रोकथाम मे भी सहायक होगा। गोबर से निर्मित
गमलों से प्लास्टिक प्रदूषण कम होगा साथ ही पौधों को उपयोगी पोषक तत्वों की प्राप्ति भी होगी जो कि पौधो की वृद्घि एवं
अच्छे स्वास्थ्य मे सहायक होगी। कलेक्टर ने बताया क्षेत्र के द्वारा किया गया यह
अनूठा प्रयास अन्य जिलो के लिए भी भविष्य मे मार्गदर्शक
बनेगा।
नर्मदा मंदिर अमरकंटक के पूज्य
नीलू महाराज ने सभी श्रद्घालुओं को बताया की एक वृक्ष की सेवा कर उसे बडा करना समाज
को 10 योग्य संतानों की सेवा देने के बराबर पुण्य का कार्य है।
आपने बताया कि ऋग्वेद मे भी वृक्षारोपण से होने वाले पुण्य की बात कही गयी है।
आपने सभी प्रकार के पौधों का महत्व एवं उनके वृक्षारोपण के स्थान के बारे मे भी
विस्तृत जानकारी प्रदान की। महाराज ने सभी श्रद्घालुओं को बताया कि पुराणो के
अनुसार हर एक व्यक्ति को कम से कम तीन पौधों का वृक्षारोपण कर उसकी सेवा
अनिवार्यत:करनी चाहिए।