हमारी प्राचीन संस्कृति में सम्पूर्ण जगत को ईश्वरीय माना- जगदीश उपासने
इंगांराजविवि में वैश्विक संकट मीडिया और समाज विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन
अनूपपुर/अमरकटंक। कोरोना ने पूरी दुनिया में भय और संशय का वातावरण उत्पन्न कर दिया है। मनुष्य एवं मनुष्य के बीच लगाव के स्थान पर भय पैदा हो गया है। सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक गतिविधियों पर विराम सा लग गया है परंतु डिजिटल मीडिया के माध्यम से हम आपस में जुड़े हुए है। वर्तमान में मीडिया की समाज के प्रति जवाबदेही बढ़ गई है। उदारीकरण, भौगोलिकीकरण के कारण समाज का स्वरूप बदला और मानव की मानव से दूरी बढ़ गई। भौतिकता सभी क्षेत्रों में हावी हो गई है। भोगवादी हो गए परंतु इस आपदा के कारण हम पुन: अपने मूल स्थान पर पहुंच गए। हमारी संवेदनाएॅ पुन: मानवतावादी हो गई है। हम समाज के आदर्शो और मानकों का पुन: पालन करने लगे है। मीडिया लोकतन्त्र का चौथा स्तंभ है। मीडिया जनजाग्रति का कार्य करता है। उक्त आशय का विचार इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा वैश्विक संकट मीडिया और समाज विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार के आयोजन की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. प्रकाशमणि त्रिपाठी ने कही।
उन्होने कहा विषेश लक्ष्यों के प्रति अनुप्राणित करना, समाज को जोडऩा, उसका अवलम्ब बनना तथा समाज को जीवंत बनाना ये मीडिया का कार्य है। मीडिया पर अनेक दबाव होते है परंतु फिर भी मीडिया अपनी भूमिका का निर्वाह इस संकट के समय में कर रही है।
मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय जगदीश उपासने ने कहा हमारे कोरोना वारियर्स इस महामारी से लड़ रहे है। हमारी प्राचीन संस्कृति में सम्पूर्ण जगत को ईश्वरीय माना गया है। ईश्वर ने प्रकृति को सभी के लिए रचा परंतु मानव ने अपनी उपभोग की प्रवृत्ति के कारण संपदा के अजीवित दोहन के कारण संकट पैदा कर दिया है। पत्रकार का काम सिर्फ समाचार देना भर नहीं है बल्कि प्रेरणा देना भी है। समाज से भय एवं संशय दूर करना भी है। मीडिया को सदैव अपनी भूमिका के प्रति सचेत रहना चाहिए।
एसोसिएट एडिटर दैनिक जागरण नई दिल्ली राजीव सचान ने कहा कि ऐसे समय में जब मीडिया पहले से ही संकटग्रस्त था इस सकंट ने चुनौतियों को और भी बढ़ा दिया है। मीडिया के सामने सबसे बड़ा संकट है विश्वसनीयता का। ऐसे संकट के समय में मीडिया को संतुलित सत्य को उजागर करना होगा।
संपादक नई दुनिया भोपाल संजय मिश्रा ने कहा कि वर्तमान में सोशल मीडिया एक बड़ी ताकत बनकर उभरा है। सोशल मीडिया को नियंत्रण में रखने हेतु कोई नियामक तन्त्र नहीं है इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। वैश्विक संकट के समय कोरोना ने सारी व्यवस्थाओं को तोड़कर रख दिया है। ऐसे कठिन दौर में मीडिया को और भी जिम्मेदारी के साथ अपनी भूमिका के प्रति निर्वाह करने की आवश्यकता है।
प्रसिद्घ बाल लेखक एवं शिक्षा सलाहकार डॉ. जवाहर सुरिसेट्टी ने कहा कि वैश्विक संकट के समय हमें ऐसी जीवनशैली अपनानी होगी जो संतुलन कायम कर सके वैश्विक संकट के समय कैसे नवाचार को अपना कर हम अपने कार्यो को सुचारू रूप से कर सकते है। आपने संकट के बाद की स्थितियों पर भी तथ्यात्मकता के साथ अपनी बात रखी। कार्यक्रम कार्यपालक आकाशवाणी गोरखपुर डॉ. ब्रजेन्द्र नारायण ने मीडिया और समाज के अन्तर्सबंधों पर कई उद्घरणों द्वारा प्रकाष डाला और कहा कि यदि सोशल मीडिया घटनाओं को सही रूप में दिखाये और अपने मानक तय कर ले तो स्थितियॉ बदल सकती है। इसके पूर्व वेबिनार की शुरूआत करते हुए संकायाध्यक्ष पत्रकारिता एवं जनसंचार इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय प्रो. एम.रविन्द्रनाथ ने अपने विचार रखे, आभार सह समन्वयक सहायक प्राध्यापक अभिलाषा एलिस तिर्की ने किया। दस दौरान वेबिनार की समन्वयक एवं संचालक डॉ. मनीषा शर्मा एसोसिएट प्रोफेसर, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग रही।