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बुधवार, 9 मई 2018

जल ही जीवन जल सा जीवन, जल्दी ही जल जाओगे,



अगर न बची जल की बूंदें, कैसे प्यास बुझाओगे।
अनूपपुर नदियों का सूखना निश्चित रूप से चिंता का विषय है। खासकर वे नदियां, जिनके जीवन का आधार जलस्रोत हैं।नदियों के जल स्तर में चिंताजनक ढंग से गिरावट आई है। इस सबका नतीजा ये हुआ कि राज्य पेयजल संकट से जूझ रहा हैं। विकास की अंधि दौड़ में जीवनदायिनी नदियों की अनदेखी की गई। सड़क बनी तो नदियों को जीवन देने वाले स्रोत ही खत्म हो गए तो कहीं जलसमेट क्षेत्र (कैचमेंट एरिया) तबाह कर दिए गए। अनियोजित विकास ने स्रोत तो खत्म किए, मगर इन्हें जीवनदान देने को गंभीरता से प्रयास नहीं किए गए। ऐसे में नदियां सूखती नहीं तो क्या होता। राज्य सरकार की नदियों को पुनर्जीवन की पहल उम्मीद जगाती है।
जन अभियान परिषद द्वारा आयोजित 15 दिवसीय कार्यक्रम नदी संरक्षण एवं पुनर्जीवन के तहत राज्य के तहसील स्तर पर एक-एक नदी अथवा बरसाती नाले के संरक्षण एवं पुनर्जीवन के लिए चुना गया है। नवांकुर संस्था, प्रस्फुटन समिति, सी एम सी एल डी पी के छात्र एवं ग्रामीण जनों की सहभागिता से जिले के जैतहरी विकास खंड में ग्राम खुरसा (भेलमा) से उद्गमित नदी हँसिया में श्रमदान कर नदी के संरक्षण एवं पुनर्जीवन के लिए कार्यरत है। सोन शिव सेवा संस्था अध्यक्ष देवेन्द्र पांडेय एवं सचिव दिलीप शर्मा के संस्था अनुसार प्राकृतिक सम्पदाओं के संरक्षण एवं उनके पुनर्जीवन के पक्ष में सदैव कार्यरत रहा है। जन अभियान परिषद द्वारा चयनित जिले के जैतहरी विकास खंड में ग्राम खुरसा (भेलमा) से उद्गमित नदी हँसिया नदी जिसकी लंबाई लगभग 23 कि. मी. और चौड़ाई 20 मी. है। नदी अनेक गांवों से होते हुए जैतहरी के पास तूफान नदी में मिलती है। जिसमे सेवा संस्था जन अभियान के 15 दिवसीय कार्यक्रम नदी संरक्षण एवं पुनर्जीवन में गामीण जनो की सहभागिता से 6 से 25 मई तक श्रमदान कर नदियों के पुनर्जीवन हेतु कार्यरत है।

आदिवासी साहित्य को संवेदना के साथ परखने की आवश्यकता-प्रो.गंगा प्रसाद विमल



इंगांराजवि में लुप्तप्राय:भाषा और हिंदी विभाग की दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न
अनूपपुर आदिवासी साहित्य को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकटंक के लुप्तप्राय:भाषा केंन्द्र और हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन में हाशिये का समाज और आदिवासी क्रेंद्रित साहित्य विषयक संगोष्ठी में आदिवासी साहित्य को संवेदना के साथ परखने पर जोर दिया गया।
विशिष्ट अतिथि प्रो.गंगा प्रसाद विमल ने कहा कि भारत की जड़ें आदिवासी जीवन से संबंधित हैं जिससे काफी कुछ सीखा जा सकता है। ऐसे में आदिवासी साहित्य को पूरी संवेदना के साथ देखने और परखने की आवश्यकता है। प्रो.विभूति नारायण राय ने आदिवासियों की सामाजिक और आर्थिक समस्याओं पर कहा कि आदिवासी समाज की चुनौतियां काफी अलग हैं और इन चुनौतियों को सभी के सामने प्रस्तुत करना नए साहित्यकारों का कर्तव्य है।
लुप्त भाषा केंन्द्र के निदेशक प्रो.दिलीप सिंह ने आदिवासी लोक साहित्य और भारतीय भाषाओं में लिखित आदिवासी केंद्रित साहित्य पर नई दृष्टि से विचार करने का सुझाव दिया। कुलपति प्रो.टी.वी. कटटीमनी ने आदिवासी साहित्य में उनकी दैनिक दिनचर्या,खानपान और लोक कलाओं को भी समाहित करने पर जोर दिया। इस अवसर पर प्रो. दिलीप सिंह की दो पुस्तकों कहां-कहां से गुजर गया और उजडे दायरों का बेबाक अफसाना का विमोचन भी हुआ।
दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में शशि नारायण स्वाधीन, बाबूराव देसाई, डॉ.संजीव रायप्पा, डॉ.संजय यशवंत लोहकरे, डॉ. हरि प्रसाद दुबे, डॉ. सुरेंद्र कुमार नायक, डॉ. भावेश जाधव, डॉ. राम अहलाद चौधरी आदि ने अपने आलेख और विचार प्रस्तुत किए। संगोष्ठी में महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के आदिवासी साहित्य के प्रमुख लेखकों ने भाग लिया। इससे पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. रेनू सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। संगोष्ठी में डॉ.आशुतोष सिंह, डॉ.वीरेंद्र प्रताप सहित हिंदी विभाग के शिक्षकों, छात्रों और शोधार्थियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

मंगलवार, 8 मई 2018

हिन्दुस्थान समाचार के निदेशक मंडल का पुनर्गठन, आरके सिन्हा फिर बने अध्यक्ष


नई दिल्ली (हि.स.)। हिन्दुस्थान समाचार बहुभाषी न्यूज एजेंसी की मंगलवार को एक विशेष आमसभा की बैठक संपन्न हुई। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में आयोजित इस बैठक में निदेशक मंडल का पुनर्गठन हुआ। बोर्ड के नव निर्वाचित निदेशकों ने सर्व सम्मति से राज्यसभा सदस्य रविन्द्र किशोर सिन्हा को अगले कार्यकाल के लिए दोबारा अध्यक्ष निर्वाचित किया। नागपुर के अरविन्द मार्डीकर को उपाध्यक्ष चुना गया। इस विशेष आमसभा में वर्ष 2018-2023 तक के लिए 21 सदस्यीय निदेशक मंडल का चुनाव सर्व सम्मति से हुआ। उल्लेखनीय है कि वर्तमान निदेशक मंडल का कार्यकाल 9 मई को समाप्त हो रहा था। इसलिए देशभर से अंशधारकों ने एकत्र होकर नए निदेशक मंडल का चुनाव किया। चुनाव की प्रक्रिया राजन के. मेडेकर ने सम्पन्न कराई। हिन्दुस्थान समाचार के नये निदेशक मंडल में अब निम्नलिखित सदस्य होंगे- आर. के. सिन्हा (अध्यक्ष), अरविन्द मार्डीकर (उपाध्यक्ष), रामबहादुर राय, अच्युतानंद मिश्र, जगदीश उपासने, केशव गोविंद परांडे, बलबीर दत्त, इंद्रजीत प्रसाद सिंह, आर. बालाशंकर, श्रीमती सुषमा अग्रवाल, राजकुमार भाटिया, रतिन्द्र मोहन बनर्जी, अमलेन्दु कुंडु, अमर सांवले, राजन कुमार, राजनाथ सिंह सूर्य, बिशन नारायण खन्ना, देवेन्द्र भसीन, चन्द्रमोहन अग्रवाल, ब्रजेश कुमार और देवदत्त आपटे। इनमें से अधिकांश सदस्य पहले भी निदेशक मंडल के सदस्य रहे हैं। कुछ नए सदस्य जुड़े हैं, जिनका परिचय बोर्ड की पहली बैठक में कराया गया। इससे पहले पिछले 2 साल की गतिविधियों और उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए और अपने सहयोगियों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए रविन्द्र किशोर सिन्हा ने कहा कि हमें चुनौतियों को अवसर में बदलने का हुनर आता है। हमें विश्वास है कि हम हिन्दुस्थान समाचार को बिना किसी बैसाखी के अपने बल पर खड़ा करेंगे। समाचार जगत के सामने उत्पन्न चुनौतियों की चर्चा करते हुए श्री सिन्हा ने कहा कि नए जमाने में नई तकनीक का इस्तेमाल कर नए क्षेत्रों में प्रयोग करने की आवश्यकता है। यह करते हुए भी हम इस बात का पूरा ध्यान रखेंगे कि हिन्दुस्थान समाचार की साख और विश्वसनीयता ज्यों की त्यों बनी रहे।

जिले को मिलेगी जेल बिल्डिंग की सौगात, शासन ने जेल क्रियान्वयन की घोषणा

सम्भाग की सबसे बड़ी जेल,१ महिला वार्ड सहित ६ वार्ड की व्यवस्था
अनूपपुर। जेल बिल्डिंग के अभाव में पिछले १५ वर्षो से अनूपपुर जिले से शहडोल जेल परिसर का चक्कर काट रहे सैकड़ो कैदियों सहित दर्जनभर पुलिस जवानों को अब शहडोल जेल परिसर के चक्कर नहीं काटने होंगे। जिले के कैदियों को निर्धारित समय पर न्यायालय और परिजनों से मुलाकात की सुविधा के उद्देश्य से वर्ष २००७-०८ से जिला मुख्यालय के बैरीबांध गांव में निर्माणाधीन जेल बिल्डिंग आखिरकार १० वर्षो बाद कैदियों के रखने के लिए पूर्ण रूप से तैयार खड़ी हो गई है। जिसके १७ मई से विविधत शुभारम्भ होने की सम्भावना जताई जाती है। अनुमान है कि अनूपपुर जेल बिल्डिंग के आरम्भ से शासन को प्रतिमाह लगभग ३ लाख रूपए से अधिक की भी बचत होगी। जबकि ५.९९ हेक्टेयर भूमि में बना अनूपपुर जेल बिल्डिंग शहडोल सम्भाग स्तर पर सबसे बड़े विस्तारित जेल परिसरों में एक होगा, जहां २३ अधिकारी-कर्मचारी आवासीय कमरे सहित ५ पुरूष वार्ड तथा १ महिला वार्ड की व्यवस्था होगी। इसके अलावा परिसर में १ किचन वार्ड, अनाज भंडारण के लिए १ भंडार कक्ष, प्रशासनिक भवन तथा हथियार रखने का बैरक कक्ष, कैदियों से मुलाकात के लिए विशेष परिसर, जेल परिसर में ड्यूटी के दौरान सुरक्षा गार्डो के ठहरने के परिसर सहित ६ बिस्तरों वाला विशेष अस्पाल बनाया गया है। वहीं कैदियों की सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर जेल परिसर के चारों ओर १४ फीट उंची कंक्रीट की दीवार खड़ी गई है। हालंाकि शासन ने २६ अप्रैल को पत्र जारी करते हुए जेलर के रूप में रविशंकर सिंह जेलर को अनूपपुर जेल लिए पदस्थ किया गया है। लेकिन विधिवत रूप में आगामी १७ मई के उपरांत यह जेल बिल्डिंग कैदियों के संरक्षण में लाया जा सकेगा।
विदित हो कि अबतक जिले के विचाराधीन कैदियों सहित सामान्य अपराधों में सजायफ्ता कैदियों को शहडोल और बुढार जेल परिसरों में रखा जाता है। जहां प्रतिदिन न्यायालीयन प्रक्रियाओं में जिला सत्र न्यायालय अनूपपुर, अपर सत्र कोतमा, तथा अपर सत्र पुष्पराजगढ़ की पेशी में कैदियों को प्रतिदिन वाहनों से शहडोल से अनूपपुर और अनूपपुर से शहडोल आवाजाही करनी पड़ती है। जबकि शहडोल जेल की क्षमता २०० कैदियों की बनाइ गई है। लेकिन अनूपपुर जिले में जेल नहीं होने के कारण वहां २०० की जगह ४०० कैदियों को रखा जा रहा था। वहीं शहडोल से अनूपपुर आने के दौरान कभी वाहनों की तकनीकी खामियों के कारण न्यायालय में कैदियों की समय पर पेशी नहीं हो पाती थी। इसके अलावा प्रतिदिन अनूपपुर के तीनों न्यायालय से शहडोल और अनूपपुर की आवाजाही लगभग १५० किलोमीटर की तय करना कैदियों सहित पुलिस जवानों के लिए परेशानी का सबब था। जिसमें कैदियों की सुरक्षा में अतिरिक्त पुलिस बलों की व्यवस्था बनाने के साथ वाहनों के परिवहन पर खर्च भी करना पड़ता था। लेकिन अब इस झंझटों से कैदियों व जवानों को मुक्ति मिल जाएगी।
 निर्माण में  लग गए १० साल
यह आश्चर्य की बात है कि जेल बिल्डिंग निर्माण में शासन को १० साल लग गए। वर्ष २००७-०८ के दौरान प्रस्तावित ४ करोड़ २० लाख की लागत से बिल्डिंग का निर्माण आरम्भ किया गया था। जिसे दो सालों में तैयार किए जाने थे। लेकिन इसी दौरान शासन से कम राशियां मिलने पर निर्माण कार्य अटक गया। वहीं बाद में दो नए टेंडर जारी करते हुए आखिरकार ६ करोड़ ५४ लाख ३० हजार में यह जेल बिल्डिंग अब पूर्ण हो सकी है।
इनका कहना है
जिले में जेल की कमी थी, जेल बिल्डिंग की उपलब्धता से कैदियों और जवानों को अब शहडोल जेल नहीं जाना होगा। कैदियों के परिवहन में शासन के उपर आने वाले अतिरिक्ति खर्च को भी कम किया जा सकेगा। इसके अलावा कैदियों को सुरक्षित न्यायालय तक पहुंचाया जा सकेगा। यही जिले के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।
वैष्णव शर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनूपपुर।

पत्थर व रेत का अवैध उत्खनन पर मूक दर्शक बना प्रशासन

नदियो का अस्तित्व संकट में, पहाडो को तोड किया जा रहा समतलीकरण
अनूपपुर जनपद पंचायत अनूपपुर एवं कोतमा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्रो से खनिज माफियाओ द्वारा जंगल, नदी, नालो सहित शासकीय भूमि से अवैध उत्खनन कर उसका परिवहन करने में लगे हुए है। वहीं माफियाओ द्वारा किए जा रहे खनिज पदार्थो के दोहन पर जिला प्रशासन मूक दर्शक बना अपनी नाकामी या माफियाओ से मिलीभगत कर क्षेत्र में व्यवसाय कर रही है। जिसके कारण नगर सहित आसपास स्थित ग्रामीण इलाको में अवैध उत्खनन कर शासन की विभिन्न योजनाओ के माध्यम से संचालित निर्माण कार्यो में अवैध गिट्टी, बोल्डर, रेत का परिवहन कर निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। माफियाओ द्वारा नदियो एवं नालो से अवैध रेत का उत्खनन करने के साथ ही आसपास के क्षेत्रो में पत्थरो का अवैध उत्खनन करने में जुटे हुए है। इस व्यवसाय के प्रति नगर में इतनी प्रतिस्पर्धा बढी हुई है कि नगर के छोटे से लेकर बडे वाहन इस कार्यो में शामिल है।
नदियॉ व नालो हो रहा रेत का अवैध उत्खनन
जनपद कोतमा अंतर्गत केवई, कनई सहित अन्य नदियो व नालो से माफिया द्वारा रेत का अवैध उत्खनन का नदियो का स्वरूप बिगडने में लगे हुए है। एक ओर जहां अनूपपुर जिला जल अभाव ग्रस्त घोषित किया गया है। जहां पर नदियो, नालो सहित प्राकृतिक स्त्रोतो को बचाने व जल स्तर को बनाए रखने के लिए नदी नालो में कडी शटर लगाने के आदेश है। वहीं नदियो व नालो से अवैध रेत के उत्खनन पर भी जिला प्रशासन द्वारा कार्यवाही किए जाने की बात कही जा रही है। लेकिन क्षेत्र में खनिज माफियाओ द्वारा जमकर रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है।
पत्थरो के उत्खनन में बारूद का हो रहा उपयोग
कोतमा जनपद अंतर्गत ग्राम पथरौडी, निगवानी, कोठी, छुल्हा, थॉनगॉव, डोगरियॉ, कपिलधारा के अर्जुन घाट, परसापानी, पडरीपानी सहित आसपास के क्षेत्रो में बारूद का उपयोग कर पत्थरों को तोडा जा रहा है। वहीं प्रतिबंध के बावजूद विस्फोटक सामग्रियो का प्रयोग किए जाने की जानकारी होने के बाद भी राजस्व, खनिज, वन, तथा पुलिस विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नही की जा रही है।
कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति
लगातार शिकायत के बाद जहां खनिज विभाग द्वारा पत्थरो व रेत से लोड वाहनो पर कार्यवाही तो करता है। लेकिन बिना लीज के पत्थर के उत्खनन व रेत के उत्खनन पर विभाग लगातार अपनी उदासीनता बरत रही है। जिसके कारण खनिज माफियाओ के हौसले बुलंद है। वहीं खनिज विभाग द्वारा दिखावे की कार्यवाही में सिर्फ वाहनो को पड़कर अवैध परिवहन की कार्यवाही कर अपना कागजी कोरम पूरा करते है।
क्रेशरो में अवैध भंडारण पर कार्यवाही नही
बिजुरी क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्रामीण इलाको सहित हाईवे मार्ग के किनारे दर्जनो क्रेशर संचालित है। जहां पर पत्थरो का अवैध उत्खनन कर उसका परिवहन करते हुए आसपास के क्रेशरो में पहुंचाया जाता है। इतना ही नहीं क्रेशर संचालक द्वारा क्रेशर में पत्थरो के अवैध भंडारण किए हुए है। वहीं खनिज विभाग द्वारा क्रेशरो की जांच न कर सड़को पर दौड रहे गिट्टी व पत्थरो से लोड वाहनो पर कार्यवाही की जाती है। जबकि इन गिट्टी व पत्थरो को किन क्रेशरो से लाना व ले जाने पर किसी तरह की कार्यवाही नही की जाती है।
इनका कहना है
जानकारी मिली है, अभियान चलाकर अवैध क्रेशर व खदान मालिको के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।

राहुल शांडिल्य, खनिज निरीक्षक अनूपपुर

बिना मापदंड पूरा किए संचालित हो रहा ब्रिक्स प्लांट

प्रदूषण नियंत्रण और श्रम नियमों की उड़ा रहे धज्जियां
अनूपपुर कोतमा क्षेत्र अंतर्गत नेशनल हाईवे  स्थित डिपो के पास चंद्रलोक फ्लाई ऐश ब्रिक्स प्लांट का संचालन संचालक द्वारा बिना मापदंडो को पूरा किए संचालित किया जा रहा है। जिसमें प्रदूषण नियंत्रण नियमों की अवहेलना, बिना अनुमति खनिज का भंडारण, मजदूरो की सुरक्षा, बिना वन विभाग के एनओसी तथा श्रम विभाग और औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग के नियमो को दर किनार करते हुए रिहायशी क्षेत्र में उद्योग का संचालन किया जा रहा है, जिसके कारण स्थानीय लोगों को प्रदूषण से परेशान होना पड़ रहा है।
पर्यावरण नियमों का खुला उल्लंघन
नियमों के अनुसार फ्लाई ऐश ब्रिक्स के संचालन के लिए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, वायु अधिनियम का पालन करना अनिवार्य है। लेकिन चंद्रलोक फ्लाई ऐश ब्रिक्स के संचालक द्वारा बिना प्रदूषण नियंत्रण के नियमो का पालन किए बिना ही उद्योग का संचालन किया जा रहा है। जिससे आसपास के क्षेत्रो में पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है लेकिन उद्योग संचालक द्वारा इस ओर किसी तरह का ध्यान नही दिया जा रहा।
मजदूरों की सुरक्षा पर उठे सवाल
फ्लाई ऐश ब्रिक्स के संचालक द्वारा श्रम विभाग के नियमों का खुलेआम उल्लंघन करते हुए यहां काम करने वाले मजदूरों का शोषण किया जा रहा है। जहां कार्य करने वाले मजदूरों को कार्य का निर्धारित भुगतान नही दिए जाने तथा कार्य के दौरान मजदूरों की सुरक्षा व अन्य उपकरणों के बगैर ही उनसे कार्य करवाया जा रहा है। वहीं प्लांट में कार्य करने वाले मजदूर धूल एवं डस्ट के के बीच कार्य कर संक्रमण से ग्रसित हो रहे है।
नहीं है वन विभाग की एनओसी
जानकारी के अनुसार चंद्रलोक फ्लाई ऐश ब्रिक्स प्लांट के संचालन द्वारा प्लांट संचालन के लिए वन विभाग से एनओसी तक नहीं ली है, जबकि उक्त प्लांट में ट्रैक्टर के माध्यम से रेत भंडारण के साथ बड़ी-बड़ी मशीनो का संचालन किया जा रहा है। इतना ही नही फ्लाई ऐश ब्रिक्स के निर्माण के लिए संचालक द्वारा खनिज विभाग से बिना अनुमति के ही रेत एवं अन्य खनिजों पदार्थो का का अवैध तरीके से भंडारण किए हुए है।
इनका कहना है
नियम के विपरीत चंद्रलोक फ्लाई ऐश ब्रिक्स प्लांट का संचालन किया जा रहा है, जिसमें संचालक द्वारा वन विभाग से एनओसी नहीं ली है।
आर, एस. त्रिपाठी, रेंजर वन विभाग कोतमा



इनका कहना है
अगर ब्रिक्स प्लांट में प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है, तो जांच कर कार्यवाही की जाएगी।

डी.एन. पटेल, प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी शहडोल

15 लाख की पीसीसी रोड चढी भ्रष्टाचार की भेंट

अनूपपुर जनपद पंचायत कोतमा अंर्तगत ग्राम पंंचायत पैरीचुआ में वर्ष 2017-18 में स्वीकृत पीसीसी रोड आंतरिक मार्ग निर्माण क्रेशर से डोंगरी तक का कार्य पंचायत द्वारा जिला खनिज प्रतिष्ठान निधि मद से 14.99 लाख की लागत से 6 माह पूर्व में निर्माण करवाया गया था, जहां निर्माण एजेंसी द्वारा गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्य किया गया, इसके साथ ही इस मार्ग में दिन रात पत्थर व बोल्डरो से ओव्हर लोड भारी वाहनो के संचालन के कारण सडक पूरी तरह से उखड गई है। जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत के सरपंच द्वारा सडक निर्माण का कार्य ठेकेदार के माध्यम से कराया गया, जहां ठेकेदार द्वारा निर्धारित मापदंडो के अनुसार निर्माण सामग्री का उपयोग किए बिना ही गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्य कर राशि की बंदरबांट की गई है।
व्यक्तिगत हित के लिए सडक निर्माण
ग्रामीणो ने बताया कि उक्त पीसीसी सडक निर्माण में ग्रामीणो को कोई लाभ नहीं मिल रहा है, जिस जगह पर सड़क निर्माण कार्य करवाया गया है वहां दो से चार घर ही है। जहां ग्रामीणो का आनाजाना ना के बराबर है। ग्रामीणो ने बताया कि यह सडक निर्माण क्रेशर तक किया गया है, जिसका लाभ क्रेशर संचालक को दिया गया है। जिससे उनके वाहनो का आवागमन में आसानी बनी रहे।
सडक निर्माण में निजी भूमि का हुआ उपयोग

ग्राम वासियों का कहना है कि किसानो की निजी भूमि का उपयोग कर पंचायत द्वारा सडक बनाई गई, जिससे पुस्तैनी भू-स्वामी परेशान है। वहीं इनकी भूमि पर बनाए गए सड़क पर इन्हे कोई मुआवजा दिया गया। ग्राम पैरीचूआ के ग्रामीणो ने कलेक्टर से मांग की हैं कि डोगरी से क्रेशर तक बनाई गई सडक की जांच कराई जाने की मांग की है। 

भाकपा ने बीटगार्ड के खिलाफ किया वनमंडलाधिकारी कार्यालय का घेराव

वन पट्टा के नाम पर अवैध वसूली की हुई शिकायत

अनूपपुर वनपरिक्षेत्र अनूपपुर के ग्राम बेला में वनाधिकार के तहत पुस्तैनी रूप से काबिज कास्तकारों को पट्टा दिलाए जाने के झंासे में बीटगार्ड बीट राजबली साकेत द्वारा कास्तकारों से दो-दो हजार रूपए के अवैध वसूली करने तथा इसकी शिकायत करने वाले सूचनकर्ता के खिलाफ ही अवैध रेत उत्खनन और परिवहन के फर्जी वन अपराध व मुकदमा दर्ज किए जाने के विरोध में भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी माक्र्सवादी जिला समिति अनूपपुर के सैकड़ो कार्यकर्ताओं ने मंगलवार 8 मई को वनमंडलाधिकारी अनूपपुर कार्यालय का घेराव किया। जहां बीटगार्ड के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई करने तथा शिकायतकर्ता तथा भाकपा जिला समिति के सचिव रजन कुमार राठौर के खिलाफ बनाने के फर्जी प्रकरण को निरस्त करने की मांग की। साथ ही मामले को वनविभाग द्वारा जांच कराने की भी अपील की। वहीं बिना अनुमति वनमंडलाधिकारी कार्यालय के कम्युनिष्टों के घेराव से पूरा वनविभाग सकते में आ गया। आनन फानन में वन विभाग एसडीओ ने घटना की सूचना अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सहित कोतवाली थाना को दी। मौके पर पहुंचे एसडीओपी अनूपपुर उमेश गर्ग, तहसीलदार ईश्वर प्रधान सहित थाना प्रभारी वीबी टांडिया ने वनविभाग एसडीओके साथ घेराव कर रहे कुछ लोगों के साथ कार्यालय में चर्चा की। लगभग 15-20 मिनट की चर्चा के उपरांत वनविभाग एसडीओ के आश्वासन पर प्रदर्शनकारियों ने सहमति जताते हुए घेराव से वापसी की। हालांकि इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कार्रवाई नहीं होने पर आगामी 23 मई को भोपाल कूच करते हुए मुख्यमंत्री से शिकायत करने की चेतावनी भी दी है। बताया जाता है कि इससे पूर्व 17 अप्रैल को भाकपा सदस्यों ने मामले में वनमंडलाधिकारी अनूपपुर से शिकायत करते हुए 8 मई  दिनों धरना प्रदर्शन व घेराव किए जाने की चेतावनी दी थी। जहां ज्ञापन में सम्बंधित प्रकरण का हवाला देते हुए कार्रवाई करने तथा फर्जी प्रकरण के निरस्त करने की अपील की थी। 

जन सुनवाई में जिले भर से आए आवेदकों की सुनी गई समस्याएं

अनूपपुर। संयुक्त कलेक्ट्रेट सभागार में ८ मई को जनसुनवाई कार्यक्रम में जिले भर से आए आवेदको की अपर कलेक्टर डॉ.आर.पी.तिवारी ने समस्याएं सुनी गई। इस मौके पर विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे। जनसुनवाई में वेंकटनगर निवासी नसीम खान ने पिता के मृृत्यु उपरांत राशि नहीं मिलने, शौचालय की राशि प्राप्त नहीं होने, आवास निर्माण नहीं होने के संबंध में आवेदन दिया, ग्राम पंचायत बैहाटोला अंतर्गत ग्राम बाबाटोला वार्ड क्रमांक ६ में हैंडपंप खनन करवाने के संबंध में, बिजुरी निवासी सरिता सेन पति चित्र सेन द्वारा जिला अस्पताल बोर्ड द्वारा नि:शक्तता प्रमाण पत्र दिलाए जाने, जैतहरी जनपद पंचायत के ग्राम सुलकारी निवासी फूलबाई पति छोटेलाल राठौर ने प्रधानमंत्री आवास योजना दिलाए जाने के संबंध में आवेदन, जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ के ग्राम शीतलपानी निवासी समस्त जनता ने सुदूर पहुंचमार्ग एवं पेयजल के संबंध में आवेदन, ग्राम रक्शा निवासी लाल सिंह ने जमीन का सीमांकन कराने के संबंध में आवेदन एवं अनूपपुर वार्ड नंबर ११ में वार्ड के वासियों ने पेयजल समस्या के निदान हेतु हैण्डपंप लगवाए जाने के संबंध में आवेदन दिया। 

नेशनल लोक अदालत: बुजुर्ग दंपत्ति एक साथ रहने को हुए राजी, गाँव का छह वर्षा पुरान विवाद सुलझा

800 प्रकरणों का हुआ निराकरण 1.85 करोड की राशि का अवार्ड पारित  अनूपपुर। मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार एवं प्रधान ज...