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मंगलवार, 8 मई 2018

इंगांराजवि लालपुर में जैविक खाद् के माध्यम से फलों की खेती का अभिनव प्रयोग



अनूपपुर ग्रामीणों को जैविक खाद् के माध्यम से खेती के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकटंक के पर्यावरण विज्ञान विभाग की ओर से एक पहल की गई है। इसके अंतर्गत विभाग के शिक्षक और छात्र ग्रामीणों को घर से निकलने वाले जैविक पदार्थों को एकत्रित कर उसे खाद् में बदलने का प्रशिक्षण दे रहे हैं। इस खाद् को बाद में फलों की खेती में प्रयोग किया जा सकेगा। देश में कार्बनिक खाद् से पैदा होने वाले उत्पादों के ब$ढते बाजार को देखते हुए यह पहल की गई है। कुलपति प्रो.टी.वी.कटटीमनी के निर्देशन में पर्यावरण विभागाध्यक्ष डॉ.तरूण कुमार ठाकुर, डॉ. संदीप कौशिक और डॉ.पल्लवी दास ने 'रिचिंग द अनरिच्डÓ कार्यक्रम शुरू किया है। इसके अंतर्गत लालपुर के कई भागों में गड्ढे बनाकर उसमें घर से निकलने वाले खाद्य पदार्थों,छिलकों, खराब फलों इत्यादि को डाल दिया जाता है। यह गड्ढे छात्रों द्वारा वैज्ञानिक विधि से तैयार किए गए हैं जिनमें एकत्रित पदार्थों को कार्बनिक खाद् बनाया जा रहा है। प्रो.ठाकुर ने बताया कि ग्राम पंचायत के सहयोग से बनाए गए इन गड्ढों में भरी कार्बनिक खाद् का निरंतर साप्ताहिक परीक्षण किया जाता है। दूसरे चरण में ग्रामीणों को अमरूद, अनार और आम के उन्नत पौधों को इन गड्ढों में बोने के लिए दिया जाएगा। जिससे आने वाले समय में खेती के साथ फलदार वृक्षों से भी ग्रामीणों और किसानों की आमदनी बढ सके।
विभाग ने 'स्वच्छ भारत समर इंटर्नफिप प्रोग्राम शुरू करने का प्रस्ताव दिया है। इसके अंतर्गत दो क्रेडिट के प्रोग्राम में छात्रों को स्वच्छ भारत अभियान की विभिन्न योजनाओं पर ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करना होगा। सामुदायिक सेवा के इस कार्यक्रम की अवधि 100 घंटे की होगी जिसके अंत में छात्रों को सर्टिफिकेट प्रदान किए जाएंगे। इसमें प्रमुख रूप से छात्रों को ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता बढाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। विभाग इस प्रकार की सामुदायिक सेवाओं में पहले से ही कार्यरत है। अब प्रयास किया जा रहा है कि इसे शैक्षणिक पाठ्यक्रम का अभिन्न भाग बना लिया जाए।

सोमवार, 7 मई 2018

पीसीसी सड़क निर्माण पर स्वीकृत राशि के अतिरिक्त डेढ़ लाख से अधिक का भुगतान

मामला जनपद पुष्पराजगढ़ के ३६ ग्राम पंचायतो का
अनूपपुर जिले की सबसे बडी जनपद पुष्पराजगढ़ में शासकीय राशि के दुरूपयोग, गबन, बिना कार्य के राशि आहरण जैसे कई मामले सामने आए थे, जिनमें अब पुष्पराजगढ़ के लगभग 36 ग्राम पंचायतो में स्वीकृत हुए 47 स्थानो पर पीसीसी सड़क निर्माण के नाम पर सरपंच-सचिव द्वारा इन पीसीसी सड़क निर्माण कार्य मे स्वीकृत राशि 1 करोड 93 लाख 12 हजार 931 रूपए की जगह 2 करोड 99 लाख 6 हजार 473 रूपए का भुगतान किए जाने की शिकायत के बाद भी अब तक किसी तरह की जांच नही हुई है। वहीं इस पूरे मामले में जिला प्रशासन पर भी कई प्रश्र चिन्ह खड़े हो रहे है।
जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ के 36 ग्राम पंचायतो में पंच परमेश्वर मद से किए गए 42 पीसीसी सड़क निर्माण पर तकनीकी व प्रशासनिक स्वीकृति राशि से दोगुनी राशि का आहरण करते हुए सरपंच एवं सचिव द्वारा जमकर भ्रष्टाचार कर शासकीय राशि की बंदरबांट की गई है। जिसकी शिकायत जिला पंचायत सदस्य माया चौधरी द्वारा 1 फरवरी 2018 को जिला पंचायत के तत्कालीन सीईओ केव्हीएस चौधरी से की गई थी, जिस पर जिला पंचायत सीईओ ने पूरे मामले में पुष्पराजगढ़ सीईओ राजेन्द्र त्रिपाठी को संबंधित सरपंच व सचिवो द्वारा बिना कार्य करवाएं अधिक राशि भुगतान पर कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन जनपद सीईओ की मनमानी के कारण अब तक इन सरपंच सचिवो के खिलाफ किसी तरह की कार्यवाही नही की जा सकी है।
इन पंचायतो में हुआ अतिरिक्त राशि का भुगतान
जनपद पुष्पराजगढ़ के विभिन्न पंचायतों में हुए 47 पीसीसी सड़क निर्माण कार्या में अतिरिक्त राशि का भुगतान जिसमें ग्राम पंचायत अलवार में 8 लाख, अचलपुर में 26372, अमदारी में 281365अमगवां में 33161, बम्हनी में 185553, बेंदी में 300935, श्मरहा में 135360, बीजापुरी नं. 1 में 583860, बिजौरा में 110000, चंदनिया में 103480, देवरा में 41475, धरमदास 26 हजार, दोनिया 764460, गेडीआमा में 367314, घुईदादर में 314238, हर्राटोला में 363257, जरहा में 349840, जरही में 85375, जीलंग में 404000, जुहिली में 47691, कछराटोला में 317323, करनपठार में 325326, करौंदी में 122396, करपा में 60165, केकरिया में 78827, खांटी में 89400, किरगी में 508537, कोईलारी में 144949, लखैरा में 197080, लपटी में 139770, मझगवां में 86005, मौहारी में 257920, नगुला में 599000, नेगवां में 179500, पडरी में 162889, परसवार में 119922, परसेलकला में 169375, पिपरहा में 274955, पिपरहुटा में 236475, सालरगोंदी में 355400, सल्हारो में 65600, सरई में 213700, ताली में 159273, तुलरा में 204002 एवं उफरीकला में 242000 रूपए का अतिरिक्त राशि आहरित की गई है।
करोड़ो के अतिरिक्त भुगतान पर प्रशासन मौन
पीसीसी सड़क निर्माण कार्य में 2 करोड़ 11 लाख 80 हजार 675 रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति मांगी गई थी जिसमें इन कार्यो के लिए 1 करोड़ 93 लाख 12 हजार 931 की तकनीकी स्वीकृति दी गई थी। जिसके बावजूद सरपंच सचिव द्वारा प्रशासकीय स्वीकृति के आधार पर ही कार्य कर 1 करोड़ से अधिक राशि का अतिरिक्त भुगतान कर दिया गया। जिला पंचायत सदस्य की शिकायत के बाद 3 फरवरी को तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ ने मामले में जनपद सीईओ को पूरे मामले में बैंकों स्टेटमेंट मंगाकर संबंधित पंचायतों के खिलाफ 7 दिनो के अंदर कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे। लेकिन 3 माह बीत जाने के बाद भी अब तक सरपंच सचिव के खिलाफ किसी तरह की कार्यवाही नही की जा सकी है। जिसके कारण अब जिला प्रशासन पर सवाड़ खड़े होते हुए प्रश्र चिन्ह खडे हो रहे है।
इनका कहना है
पूरे मामले में सत्यापन का कार्य सहायक उपयंत्री डीएस भदौरिया से कराया जा रहा है। प्रत्येक खाते की जांच भी कराई जा रही है।

राजेन्द्र त्रिपाठी, जनपद सीईओ पुष्पराजगढ़

फिल्टर प्लांट पर अबतक 4 करोड़ खर्च, पेयजल को परेशान वार्डवासी

जिला मुख्यालय की प्यास बुझाने में नाकाम नपा
अनूपपुर नगर पालिका अनूपपुर के 15 वार्डो में पेयजल की उपलब्धता के लिए वर्ष २०१४ में तिपान नदी में फिल्टर प्लांट का निर्माण 14 करोड 70 लाख रूपए स्वीकृत हुआ था। जिसमें नगर के समस्त वार्डो में 4 ओव्हर हैड टैंक के साथ 6 किमी लंबी मुख्य पाईप लाईन के साथ 60 किमी ब्रांच लाईन की पाईप बिछाने का कार्य किया जा रहा है। जहां नपा द्वारा हर्री बर्री मार्ग स्थित तिपाननदी के किनारे 50 डिसमिल जमीन आवंटित कराकर फिल्टर प्लांट स्थापित कर कार्य प्रारंभ कराया। लेकिन तिपान नदी की टूटती जल धारा के कारण यह परियोजना फेल होती नजर आ रही है।
सोन, तिपान एवं चंदास नदी की टूटी जलधारा
जिला जला अभाव ग्रस्त घोषित होने के कारण जहां कलेक्टर के निर्देशानुसार नदी, नालो में कडी शटर लगाने के निर्देश दिए गए थे, जिससे जल को रोक जिले का जला स्तर बनाया रखा जाए। लेकिन वर्तमान में जिला मुख्यालय से निकलने वाली सोन, तिपान, चंदास एवं बकान नदी की जलधारा पूरी तरह टूट गई। जिसके कारण जिला मुख्यालय का जल स्तर नीचे चला गया है।
सूखी पड़ी चंदास नदी
नपा द्वार तिपान नदी में किए जा रहे फिल्टर प्लांट निर्माण  स्थल के पास जहां नदी पूरी तरह से सूखी पड़ी हुई है। जहां सिर्फ बारिश के समय ही पानी का बहाव दिखता है।  वहीं
वहीं तिपान नदी में जगह-जगह कडी शटर लगा दिए जाने के कारण पानी का बहाव पूरी तरह से बंद पड़ा है और नदी पूरी तरह से सूख चुकी है। जानकारी के अनुसार इससे पूर्व भी अनूपपुर रेलवे द्वारा तिपाननदी के किनारे करोड़ों की लागत से रेलवे कॉलोनी और स्टेशन परिसर के लिए जलापूर्ति का प्रयास किया था। जहां पानी के अभाव के कारण पूरी योजना फेल हो गई और आज रेलवे कॉलोनी जल समस्या से जूझ रहा है।
बारिश में ही बुझ सकेगी नगरवासियों की प्यास
तिपान नदी में फिल्टर प्लांट निर्माण के साथ पानी रोकने डैम का निर्माण किया जा रहा है, जहां बारिश के दौरान पानी को रोक एकत्रित किया जाएगा। लेकिन वर्तमान में तिपान नदी की हालात बद से बदत्तर हो चली है। जहां इस भीषण गर्मी में नदी की टूटी जलधारा नदी के अस्तित्व पर ही खतरा बन गई है और करोडो की लागत से बनाया गया फिल्टर प्लांट नगर वासियो की प्यास बुझाने में असफल साबित होगा।
इनका कहना है
फिल्टर प्लांट के प्रारंभ होने तथा पानी के स्टोरेज के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

अशीष शर्मा, सीएमओ अनूपपुर

हरिजन मोहल्ले में गहराया जल संकट

कोतमा। नगर पालिका कोतमा क्षेत्र अंर्तगत वार्ड क्रमांक 7 एलआईसी के पीछे हरिजन मोहल्ला में पेयजल की समस्या से वार्डवासी जूझ रहे है। वार्ड वासियों ने बताया कि पूर्व में नपा द्वारा नए हैंडपंप लगवाए गए थे, जो वर्तमान में बंद पड़ा है। जिस कारण वार्डवासी पेयजल के लिए भटकने को मजबूर है। जहां उन्हे १ किमी दूर जाकर दूसरे हैण्डपंप से पानी लाना पड़ता है। वार्ड वासियों ने नपा प्रशासन से पानी के संकट से निजात दिलाने की मांग की है। वहीं जब इस संबंध में सीएमओ कोतमा श्रीनिवास शर्मा से जानकारी चाही गई तो उन्होने बताया कि कर्मचारियो को भेजकर तत्काल हैण्डपंप सुधारवाया जाएगा। जब तक के लिए टैंकर भेज पानी का वितरण किया जाएगा। 

गैस उपभोक्ताओ से परिवहन के नाम पर हो रही वसूली

कोतमा संभागायुक्त द्वारा गैस उपभोक्ताओ से हो रही अवैध वसूली की लगातार शिकायतो के बाद घर पहुंच सेवा के नाम पर हो रही लूट पर सख्ती से रोक लगाने निर्देश जारी किया गया था, जिस पालन क्षेत्र के गैस एजेंसी संचालको द्वारा नही किया जा रहा है। वहीं गैस एजेंसी संचालक द्वारा गैस रिफलिंग के नाम पर निर्धारित कीमत मई माह मे घर पहुंच सेवा 674.५० रूपए तय होने के बावजूद उपभोक्ताओ से घर पहुंच सेवा के नाम पर 690 रूपए वसूल किया जा रहा है। इतना ही नही खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण भोपाल द्वारा उज्जवला गैस रिफलिंग हेतु संचालको को हाट बाजार जाकर गैस रिफलिंग देने के निर्देश के बाद भी गैस वाहन हाट बाजार नही पहुंच रहे है।
चूल्हे मे बन रहा भोजन
शासन द्वारा धुएं की समस्या से निजात दिलाने के लिए उज्जवला योजना के तहत गैस तो प्रदान कर दी गई। लेकिन हितग्राहियो के रिफलिंग नियमो के अनभिज्ञता के कारण गैस समाप्त हो जाने के बाद पुन: उन्हे सिलेण्डर के लिए परेशान होना पड़ रहा है। जिससे वे चूल्हे मे खाना बनाने विवश है।
कम गैस की शिकायत
क्षेत्र मे उपभोक्ताओ को गैस डिलेवरी देते समय कर्मचारियो द्वारा वजन करके नही दिया जाता, जिससे कई बार कम गैस की भी शिकायत सामने आई है, पहले से ही महंगाई से परेशान उपभोक्ताओ को 274 की जगह 290 रूपए वसूले जाने एवं गैस कम मिलने से अर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है। उपभोक्ताओ ने कलेक्टर से क्षेत्र मे मची अनियमितता पर रोक लगाए जाने की मांग की गई है।
इनका कहना है
मई माह मे 674. 50 रूपए की कीमत घर पहुंच तय है कोई भी उपभोक्ता इससे अधिक का भुगतान ना करे। संचालको के द्वारा ज्यादा रूपए मांगे जाने पर शिकायत करे तत्काल कार्यवाही होगी।

प्रदीप द्विवेदी, कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी कोतमा

पेयजल समस्या निदान के लिए अधिकारी त्वरित करे कार्यवाही - कलेक्टर

अनूपपुर। समय-सीमा की बैठक में कलेक्टर अजय कुमार शर्मा ने ग्रीष्म ऋतु में जनमानस के पेयजल का संकट न हो इस बात को दृष्टिगत रख अधिकारी त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। बैठक में अपर कलेक्टर डॉ. आर.पी. तिवारी, एसडीएम तथा विभिन्न विभागों के जिला प्रमुख उपस्थित रहे। बैठक में भवन संनिर्माण कर्मकार के अंतर्गत असंगठित श्रमिकों के पंजीयन का समीक्षा करते हुए जिले चारों विकासखंडो की जानकारी प्राप्त कर आगामी समय में सामूहिक विवाह के तैयारी के निर्देश दिए। सामूहिक विवाह कार्यक्रम के लिए विकासखंडवार पंजीयन सुनिश्चित करने, लक्ष्य के विरूद्ध अधिक से अधिक पंजीयन कराने को कहा। बैठक में कलेक्टर ने आवासीय पट्टों के वितरण, वनाधिकार प्रमाण पत्रों की समीक्षा की। सहायक ग्रेड तीन के रिक्त पदों की भर्ती, उज्जवला योजना, लाडली लक्ष्मी योजना, प्रधान मंत्री आवास योजना तथा ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत संचालित योजनाओं के स्वीकृति आदेश पत्रक का वितरण बैगा विशेष जनजाति के लोगों को शासन द्वारा निर्धारित राशि का वितरण, दैनिक भोगियो की वेतन देने साथ ही कृषक उद्यमी योजना, उजाला योजना, तालाब गहरीकरण के कार्यो, पेयजल परिवहन आदि की समीक्षा कर कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को प्रतिदिन मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए हैं। 


शिमला में आयोजित योग प्रतियोगिता में इंगांराजवि की टीम को तीन पुरस्कार



अनूपपुर हिमाचल प्रदेश के शिमला में आयोजित ओपन वल्र्ड योग प्रतियोगिता में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकटंक के योग विभाग के तीन छात्रों ने उत्कृष्ठ प्रदर्शन करते हुए दो द्वितीय और एक तृतीय पुरस्कार प्राप्त किया। प्रतियोगिता में दस राज्यों की टीमों के योग छात्रों को पछाड़ते हुए इंगांराजवि के छात्रों ने यह उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।
यूथ स्पोर्ट्स सोशल एंड कल्चरल सोसाइटी, नई दिल्ली और योग स्पोर्ट्स फेडरेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस योग प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय की आठ सदस्यीय टीम ने योग प्रशिक्षक डॉ.श्याम सुंदर पाल के निर्देशन में भाग लिया। इनमें से उत्तम गुप्ता को २५-३०वर्ष के आयुवर्ग में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। रितु केवट ने छात्राओं के २५-३० वर्ष के आयुवर्ग में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। वहीं उर्मिला ने २०-२५ वर्ष के आयुवर्ग में तीसरा स्थान प्राप्त किया। यह सभी विश्वविद्यालय के योग विभाग में बी.एससी. योग के छात्र-छात्राएं हैं।
प्रतियोगिता में मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, केरल, कर्नाटक सहित दस राज्यों की योग टीमों ने भाग लिया। इंगांराजवि की टीम को ये पुरस्कार विभिन्न प्रकार के आसनों का सर्वोत्तम प्रदर्शन करने पर दिए गए। विजेताओं को हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री महेंद्र सिंह ने पुरस्कृत किया।
कुलपति प्रो.टी.वी. कटटीमनी ने योग विभाग की स्थापना के बाद अल्प समय में ही निरंतर राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करने पर विभाग के डीन प्रो.एन.एस.हरि नारायणमूर्ति और विभागाध्यक्ष डॉ.मोहन लाल चढ़ार सहित अन्य शिक्षकों और छात्रों को बधाई दी है।
  

जोहिला नदी के बीच धुल रहे सैकड़ो वाहन, बारहमासी जोहिला अब सूखने के कगार पर

अनूपपुर राजेन्द्रग्राम सहित आसपास के सैकड़ों गांवों की जीवनदायिनी मानी जाने वाली एकमात्र जोहिला नदी अब अपने अस्तित्व बनाये रखने की लड़ाई लड़ रही है। बारह मास लोगों के दैनिक जीवन में मिठास घोलने के साथ किसानों के लिए वरदान बनी जोहिला का जल प्रशासनिक लापरवाही में अब विरल हो चली है। जलसंकट की समस्या तथा नदियों को सहेजने के आदेश के बाद भी प्रशासन के नाकों तले स्थानीय वाहन मालिकों ने जोहिला नदी को अपनी वाहनों धुलाई का सबसे सस्ता वाशिंग पिट बना दिया है, जहां दिनभर सैकड़ो की तादाद में भारी वाहनों के साथ साथ छोटे वाहन जोहिला के सीने पर उतर अपने कचरा, मलवा और ग्रीस ऑयल जैसे प्रदूषित रसायन छोड़े जा रहे है। जिसके कारण अमरकंटक से निकलकर उमरिया और बाद में सोननदी में समाहित होने वाली इस नदी की जलधारा अब सफेद की जगह काली दिखने लगी है। वहीं कचरे के पटाव के कारण नदी घाटों से दूर होती जा रही है। जबकि अमरकंटक से नीचे उतरती जोहिला में जगह जगह किसानों ने अपनी सुविधा के अनुसार बोरीबंधान कर इसके धार के अस्तिव को ही समाप्त कर दिया है। जहां सालों भर कल-कल रूप में बहती बारहमासी जोहिला अब गर्मी के दिनों में सामान्य नदियों की भांति सूख रही है। बावजूद प्रशासन की उदासीनता बरकार बनी हुई है। आश्चर्य की बात है कि राजेन्द्रग्राम मुख्यालय से चंद मीटर की दूरी पर बहती जाहिला की मझधार में सैकड़ो भारी वाहन दिन के उजाले में उतार उनकी धुलाई की जा रही है और ये सब प्रशासन की आंखों के सामने हो रहा है। लेकिन जोहिला बचाने न तो प्रदूषण विभाग और ना ही जिला प्रशाासन के अधिकारियों द्वारा कोई पहल की जा रही है। लोगों का कहना है कि अगर जोहिला की धार सूखी तो इससे राजेन्द्रग्राम सहित आसपास के सैकड़ों गांवों में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर लेगी। उनके अनुसार एक समय जोहिला के पानी को पीकर राजेन्द्रग्राम वासी अपना जीवन यापन कर रहे थे। वहीं किसानों के खेती सिचाई के लिए यही एक मात्र नदी साधन के रूप में उपलब्ध थी। इसे देखते हुए पूर्वमंत्री रहे स्व. दलवीर सिंह ने राजेन्द्रग्राम के समुचित विकास के साथ जोहिला नदी के जल के उपयोग के लिए दर्जनों घाट का निर्माण कर स्टॉपडैम बनाया था। लेकिन उनके द्वारा बनाए गए स्टॉप डैम पर विभाग द्वारा आजतक कोई गेट भी नहीं लगाए गए है।
बताया जाता है कि सदियो से आदिवासी समुदाय द्वारा जोहिला को अपना ईश्वर मानकर उसकी पूजा अर्चन करते हैं। लेकिन अब उन्हीं घाटों पर कचरे के ढेर ने अपना स्थान बना लिया है। राजेन्द्रग्राम मुख्यालय में एसडीएम से लेकर जलसंसाधन विभाग व जलसरंक्षण विभाग तक के अधिकारी बैठते हैं। लेकिन इनके कार्यालय से मात्र 200 मीटर की दूरी पर तथा मुख्य मार्ग के किनारे वाहनों की धुलाई का कार्य अनवरत चल रहा है। इससे जल प्रदूषण तो होता ही है,साथ ही जलीय जीवों के साथ उन जल से अपनी प्यास बुझाने लोगों व मवेशियों को भी संक्रमण हो रहा है। आदिवासी अंचल होने के कारण आज भी पुष्पराजगढ़ की आधे से अधिक आबादी नदीजल पर ही आश्रित है। वहीं पुष्पराजगढ़ विकासखंड अंतर्गत 119 ग्राम पंचायत के 269 गांव इनमें आते हैं। लेकिन इसके बाद भी ग्राम पंचायत सहित जिला प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता बरकरार है।
इनका कहना है
मामले में एसडीएम से बात कर नदी में वाहनों को उतारने से मनाही करवाता हूं। गर्मी के कारण जलस्तर कम हो गए हैं।

अजय कुमार शर्मा, कलेक्टर अनूपपुर।

तेंदूपत्ता पर मौसम के ग्रहण की पड़ी काली छाया

गर्मी न पडऩे से विभाग के मांथे पर पड़ बल
 अनूपपुर तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए फड़ों में काम शुरू हो गया है। पत्तों की कोपलें तैयार होने लगी है। चुनावी वर्ष होने के कारण तेंदूपत्ता खरीदी के लिए प्रति मानक बोरा दर 750 रुपए बढ़ाया गया है और संग्राहकों को इस वर्ष बोनस के साथ ही चप्पल,जूता, साड़ी तथा पानी की बॉटल दिए जाएंगे। पिछले वर्ष लक्ष्य से अधिक संग्रहण हो गया था किंतु इस वर्ष मौसम पत्तों पर विपरीत असर छोड़ रहा है। वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए गरीबो का हरा सोना कहे जाने वाले तेंदूपत्ता पर मौसम के ग्रहण की काली छाया पढऩे के आसार हो रहे हैं। पर्याप्त गर्मी न पडऩे से बन रही ऐसी स्थिति को लेकर विभाग के भी मांथो पर बल पड़ रहे हैं। जिससे संग्रहण लक्ष्य पूरा होने को लेकर विभाग और ठेकेदार सहित वनवासी सभी परेशान हैं। अनूपपुर वनमण्डल को 22 हजार 200 मानक बोरे संग्रहण का लक्ष्य दिया गया है।
जिले में आठ वन समितियां
जिले में तेंदूपत्ता तुड़ाई का समय अब शुरू हो गया है। मई माह में पत्तों की तुड़ाई कार्य किया जाता है। इस एक माह में बीड़ी बनाने योग्य पत्ता प्राप्त किया जाता है। वन्य क्षेत्रों में तेंदू के पेड़ मुख्य रूप से होते हैं। जिनकी तुड़ाई आसपास के ग्रामीणजन द्वारा की जाती है। जिले में 8 वन समितियां हैं जहां तेंदू के पत्तों की तुड़ाई जंगल में जाकर की जाती है। वन विभाग द्वारा इस कार्य के लिए 185 फड़ मुंशी तैनात कर दिए हैं जहां ग्रामीण तोड़कर लाए तेंदू के पत्तों की गड्डी जमा करेंगे। इन फडों में विभाग के मुंशी के साथ-साथ क्रेता द्वारा भी अपना एक व्यक्ति रखा गया है। इस वर्ष पांच ठेकेदारों ने आनलाइन द्वारा तेंदूपत्ता खरीदी का कार्य लिया है।
भटकना नहीं पड़ेगा
संग्रहकों को तेंदूपत्ते की उपज का पूरा दाम मिल सके और उसे भटकना न पड़े इसके लिए पिछले वर्ष की तरह प्रत्येक संग्राहक का बैंक में खाता खुलवाकर खाता नंबर विभाग ने ले लिया है। इस वर्ष करीब 60 हजार तेंदूपत्ता संग्राहकों का पंजीयन किया गया है। प्रत्येक घर से महिला अथवा पुरूष में से किसी एक मुखिया के नाम से कार्ड बनाया गया है। संग्राहकों को पत्तों की तुड़ाई के दौरान जंगल में या आने-जाने के दौरान यदि किसी वजह से घायल होना प?ा या फिर मौत हुई तो शासन द्वारा उन्हे घायल होने पर10 हजार से लेकर 50 हजार एवं मृत्यु की दशाओं पर 2 लाख रुपए देने का प्रावधान सुनिश्चित किया हुआ हैं। इस वर्ष शासन ने चुनाव के इस वर्ष संग्राहकों के लिए और नई सुविधाएं देने का फैसला लिया है। वन विभाग से प्राप्त् जानकारी अनुसार महिला संग्राहकों को सूरत की सा?ी और हरियाणा के लिबर्टी कंपनी का चप्पल दी जाएगी। वहीं पुरूषों को जूता दिया जाएगा। प्रत्येक को 1. 5 लीटर का सैलो कंपनी का पानी बॉटल मिलेगा। 13 हजार 592 ऐसे संग्राहकों का चयन इन तीनो सुविधाएं देने के लिए किया गया है।
मौसम में हो रहे उलटफेर से लक्ष्य पर संशय
इस वर्ष मौसम में हो रहे उलटफेर के कारण तेंदूपत्ते की उपज बीते वर्ष से कम ही नजर आ रही है। जिससे आदिवासियों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा होने की संभावना जानकार बता रहे हैं। अभी महुआ की फसल मौसम की भेंट चढ़ गई। अब तेंदूपत्ता पर संकट मंडरा रहा है। बताया गया 15 से 20 मार्च के मध्य शाखकर्तन का कार्य कर लिया गया था ताकि बीड़ी के लिए तेंदू में अच्छे कोपले आएं। वर्तमान समय में कोपले पेड़ो पर आ गए हैं। पत्तों की क्वालिटी बहुत महत्वपूर्ण रखती है। जितनी अच्छी गर्मी रहेगी पत्ते भी बेहतर आएंगे और पत्तों के आधार पर यह पूरा कार्य निर्भर है।
बारिश होने पर पत्तों पर लगेगा माता रोग
बताया गया यदि पानी गिरा तो पत्तों में माता रोग लग जाता है। जिस तरह बादल छा रहे हैं। बारिश हुई तो तेंदू के पत्ते खराब हो जाएंगे और इसका असर सबसे अधिक ग्रामीणों तथा वनवासियों को होगा। क्योंकि पत्ता तुड़ाई और पत्तों की गड्डी बनाकर फड तक पहुंचाने में पूरा परिवार मिलकर काम करता है। महिलाएं जंगल जाकर जोखिम उठाकर पत्ता लाती हैं फिर घर पर सभी सदस्य मिलकर गड्डी तैयार करते हैं और पुरूष फड में जाकर एकत्रित पत्तों को जमा करता है। इस एक माह में इन परिवारो को खासी आमदनी हो जाती है। मौसम के प्रतिकूल प्रभाव का असर पत्तों के साथ ही इन परिवारों पर भी पडेगा। उन्हे आमदनी कम होगी और बोनस से भी वंचित होना पड जाएगा।
22 हजार 200 मानक बोरा का लक्ष्य
वन मण्डल अनूपपुर में पिछले वर्ष 22 हजार 400 मानक बोरा का लक्ष्य रखा था। इस वर्ष 22 हजार 200 का लक्ष्य बनाया हुआ है। 8 समिति बनाई गई है।जिला वनोपज सहकारी संघ मर्यादित अनूपपुर के देखरेख में तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य 30 मई तक चलेगा। हालंकि 10 मई से फड़ चालू किए जाएंगे। जानकारी अनुसार जिला वनोपज सहकारी संघ ने जो लक्ष्य रखा है उसके अनुसार अनूपपुर सहकारी समिति में 2600 मानक बोरा का, जैतहरी में 1700, वेंकटनगर 3100, कोतमा 5300, बिजुरी 2500, बसनिहा 1200, मझगवां 3600, बेनीबारी 2200 का लक्ष्य तय किया गया है। बताया गया पिछले वर्ष प्रतिमानक बोरा का मूल्य 1250 रुपए रखा गया था, जो इस चुनावी वर्ष बढ़ाकर 200 प्रति मानक बोरा कर दिया गया है। बताया गया जिले में समिति कोतमा, बिजुरी,मझगवां, वेंकटनगर और जैतहरी का पत्ता बेहतर प्राप्त होता है जबकि बेनीबारी, बसनिहा में मौसम ठण्डा रहने से अच्छी क्वालिटी का पत्ता नहीं मिल पाता। बताया गया वनांचल में रहने वालो के लिए तेंदूपत्ता आए का बडा जरिया होता है। इनके आर्थिक हालातों को सुधारने के लिए शासन ने इनकी मजदूरी की दर 1250 से बढ़ाकर 2 हजार रुपए प्रति मानक बोरा कर दी है।
   


दोहरे हत्याकांड का का खुलासा: एक प्रेमिका दो प्रेमी बना हत्या का कारण

नबालिक सहित दो गिरफ्तार, भेजे गये न्यायिक अभिरक्षा  अनूपपुर। एक प्रेमिका दो प्रेमी के विवाद में एक प्रेमी युवक ने अपने नाबालिग साथी के साथ म...