अमरकंटक
में जनजातीय समाज की तीन दिवसीय कार्यशाला संपन्न
अनूपपुर। देश में इन
दिनों समाज में विघटनकारी शक्तियाँ सक्रिय हैं । यह समाज और देश के लिये नुकसान
दायक है तथा हम सब के लिये चिंता का विषय भी। जनजातीय समाज को एकजुट रह कर अच्छे
लोगों को जोडऩा होगा। श्रीनर्मदे हर सेवा न्यास बरातीधाम, अमरकंटक में सोमवार को तीन
दिवसीय जनजातीय समाज की कार्यशाला के समापन को संबोधित करते हुए मप्र अजजा आयोग के
पूर्व अध्यक्ष, पूर्व
विधायक रामलाल रौतेल ने व्यक्त किये। कार्यशाला में प्रदेश के रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, बालाघाट, जबलपुर, उमरिया, शहडोल, डिण्डोरी, अनूपपुर कटनी जिले के साथ
छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड के विभिन्न हिस्सों
से आए समाज के लोगों ने हिस्सा लिया।
रामलाल
रौतेल ने कहा कि मप्र के परिप्रेक्ष्य में जनजातीय विकास एवं जनजातीय समाज के जीवन, संस्कृति और परंपराओं से
जुड़े विषयों पर यह कार्यशाला आयोजित की गयी है। शोषण मुक्त ,समतायुक्त समाज की रचना
कैसे हो , यह
चिंतन का मुख्य विषय है। सकारात्मक सोच के साथ अहंकार मुक्त,सरल,सहज,अपनत्व पूर्ण स्नेहिल
व्यवहार हमें आपस में जोड़े रखने का मुख्य सूत्र है। जनजातीय समाज को शराब जैसे
व्यसन से दूर रह कर शिक्षा को अनिवार्यत: अपना कर जागरूक होना होगा। जागरूकता का
तात्पर्य यह कि हम स्वयं के तथा समाज - देश के हितों पर सरलता से विचार कर सकें।
सरकार / शासन? की
योजनाओं की जानकारी रखें तथा उसका लाभ समाज के लोगों को दिला सकें। भाव शुद्धि और
आचार शुद्धि पर हमें ध्यान देना होगा। संगठन की मजबूती के लिये अच्छे, निर्विवाद लोगों को आगे आना
होगा।
दो
दिवसीय कार्यशाला में जनजातीय समाज की दशा और दिशा पर चिंतन करते हुए हुए प्रमुख
वक्ताओं में से इंदिरा गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के प्रो नागेन्द्र
सिंह, प्रो सामल, प्रो राकेश सोनी, पूर्व अजजा आयोग अध्यक्ष विश्वनाथ कोल, बीडी रावत, डा सीएल कोल, एड रविन्द्र कोल, एड विमल कोल, माखन सरैया (सेवा निवृत्त सेल्स अधिकारी),सुरेन्द्र रावत, राजेन्द्र कोल, प्रेमलाल रावत, जगन्नाथ कोल, गोकुल प्रसाद कठौते, रमेश कोल, हीरा कोल, राजेन्द्र कोल, विजय कोल, आरबी कोल, सरदारी लाल, सोनसाय, बोध राम सहित अन्य लोगों ने
अपने विचार व्यक्त किये। कार्यशाला में विघटनकारी शक्तियों को रोकते हुए समाज की
मजबूती के लिये कौन कौन से कदम उठाए जाएं। आदि काल से देश निर्माण में जनजातीय
समाज के महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित करते हुए आज के बदलते दौर मे उसे अधिक
मजबूत बनाने, विकास
की मुख्य धारा में समाहित होने के बावजूद अपनी मूल संस्कृति, संस्कार और मजबूती को बनाए
रखने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
हिन्दुस्थान
समाचार/ राजेश शुक्ला