खरी-खरी
अनूपपुर। विधानसभा उप चुनाव की दुंदुभि बज चुकी है। दो प्रमुख राजनैतिक दलों
भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस के प्रत्याशियों के चेहरे स्पष्ट हो चुके हैं। एक
ओर मप्र. में पन्द्रह साल पुरानी,भाजपा सरकार को पराजित कर सत्ता
मे काबिज कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को उखाड फेंकने वाले,वरिष्ठ
नेता और आज की भाजपा सरकार के मंत्री बिसाहूलाल सिंह हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस ने
अपने पुराने कार्यकर्ता जिला पंचायत सदस्य विश्वनाथ सिंह पर भरोसा जताया है।
लगता ऐसा है
कि इतिहास एक बार फिर सामने आ खड़ा हुआ है। 2003
के तब के कैबिनेट मंत्री बिसाहूलाल सिंह अनूपपुर को जिला बनवाकर लोकप्रियता की लहर
पर सवार चुनाव मैदान मे थे। उनके सामने भाजपा से जिला पंचायत सदस्य रामलाल रौतेल
थे। तब कांग्रेस संगठन में स्थापित कद्दावर नेताओं की खींचतान, कुटिलता,
स्वार्थ
वैसे ही चरम पर थी,जैसे आज 2020 में भारतीय जनता पार्टी के
तथाकथित कुछ कद्दावर नेताओं का दिख रहा है।
चाल-चरित्र,
चेहरे
पर भारी
पार्टी के
कुछ नेताओं के चाल,चरित्र ने विधानसभा चुनाव में भाजपा के
चेहरे को खतरे में डाल दिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सात सितंबर को
अनूपपुर आगमन के पहले तथा उसके बाद कुछ नेताओं की कुटिल राजनीतिक चाल को प्रदेश
भाजपा, स्वत: मुख्यमंत्री, कार्यकर्ताओं,
मीडिया,
राजनैतिक
विश्लेषकों तथा जिले की प्रबुद्ध जनता ने भांप लिया है। बिसाहूलाल को भी यह अहसास हो गया है कि सुबह से
देर रात तक उनके इर्द गिर्द घेरा बना कर जमे रहने वाले कुछ नेताओं की खराब छवि उन्हे
चुनाव हरवा सकती है। ये नेता पूर्व विधायक तथा मंत्री के बीच गहरी खाई खोदने की
साजिश पर काम कर रहे हैं। दिन-रात पूर्व
विधायक के विरुद्ध मंत्री से बुराई कर उनके के विरुद्ध कार्य करने जैसी झूठी बातें
फैलाना इसमें शामिल है। वर्तमान जिलाध्यक्ष और पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष बिसाहूलाल को रामलाल से अलग रख कर चुनाव को
अपने अनुकूल संचालित करना चाहते हैं। इसके
चलते यह चुनाव भाजपा हार भी सकती है। चुनाव में मोटी राशि खुर्द- बुर्द करने,
चुनाव
जीतने पर श्रेय स्वयं लूटने , हारने पर ठीकरा पूर्व विधायक के
सिर पर फोडऩे की बड़ी योजना पर कार्य किया जा रहा है।
प्रदेश
उपाध्यक्ष के विरुद्ध अनुशासन हीनता
मुख्यमंत्री
के कार्यक्रम से रौतेल को बाहर रखना इसी योजना का हिस्सा था। पूर्व विधायक भाजपा
के मूल नेताओं तथा अपनी उपेक्षा से इतने नाराज थे कि कार्यकर्ताओं के बीच जा बैठे।
यहाँ पार्टी में विरोधी खेमा बिसाहूलाल से अलग रखने में सफल तो रहा लेकिन
कार्यकर्ताओं,जनता में नाराजगी फैल गई। पूर्व विधायक समर्थकों की बड़ी
संख्या है,कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज के साथ है। बिसाहूलाल से लड़वाने,उन्हे
अलग रखने में ही कुछ नेताओं का हित सध सकता है। किन्तु अनूपपुर विधानसभा उप चुनाव
में बिसाहूलाल तथा रामलाल की एक जुटता से जीता आसान हो सकती है। भाजपा के अनुशासन
तथा नैतिकता की तब धज्जियां उड़ीं जब मुख्यमंत्री के वापस जाते ही पूर्व नपा
अध्यक्ष ने अपनी ही पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष के विरुद्ध पत्रकार वार्ता कर उन
पर आरोपों की झड़ी लगा दी।
जिलाध्यक्ष
बचा लो या विधानसभा
जिलाध्यक्ष
के संदिग्ध आचरण ,उनके चरित्र, कार्यप्रणाली
के विरुद्ध नौ मंडल अध्यक्षों ने प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिख कर उन्हे तत्काल
हटाने की मांग की है। इस मांग पर वे आज भी अड़े हुए हैं। दो महामंत्रियों ने
शिकायत की है कि जिलाध्यक्ष तथा कोषाध्यक्ष ने चेक से भुगतान ना करके लाखों रुपये
अपने नाम पर नकद निकाल कर वित्तीय अनियमितता की है। जिलाध्यक्ष पर तमाम अवैध
कार्यों मे लिप्त होने, पार्टी में गुटबाजी को फूट की हद तक ले
जाने, प्रदेश उपाध्यक्ष को निरन्तर अपमानित करने के संगीन आरोप हैं।
12 सितम्बर को संभागीय संगठन मंत्री श्याम महाजन की नगर में उपस्थिति के दौरान
पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्ष सहित 28 पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं ने
जिलाध्यक्ष को तत्काल हटाने की मांग करते हुए सामूहिक स्तीफा दे दिया।
अश्लीलता से
हतप्रभ कार्यकर्ता
मंडल अध्यक्ष
का एक वीडियो वायरल होने की खबर दबी भी नहीं थी कि प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य
अनिल गुप्ता पर अपनी अश्लील तस्वीरे व्हाट्सएप समूह में शेयर करने के आरोप लग गये।
समूह संचालक की शिकायत पर बिजुरी थाने में गुप्ता के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया
गया। इनका किसी महिला से अश्लील बातों का आडियो पहले ही चर्चा में रहा है।
चाल,चरित्र,
चेहरे
वाली भाजपा को तब अधिक शर्मिन्दगी हुई जब अनिल गुप्ता के कृत्यों की आलोचना करने,मौन
रहने की जगह जिलाध्यक्ष बृजेश गौतम, ओमप्रकाश
द्विवेदी सहित दो पूर्व जिलाध्यक्षों ने उनके पक्ष में बयान जारी कर अपनी ही सरकार
और पुलिस के विरुद्ध मोर्चा खोल कर पार्टी की भद्द पिटवा दी। जनता इन नेताओं की
साजिश, इनके भ्रष्ट आचरण,इनकी अनुशासन
हीनता से हतप्रभ है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व या तो
जिलाध्यक्ष को बचा ले या अनुशासनहीन नेताओं के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करके चुनाव
बचा ले।
अंत में खराब
छवि से हारते - हराते रहे चुनाव
चिंता स्वत:
प्रत्याशी को भी करना होगा। उन्हे समझना होगा कि दो नगरपालिका चुनाव हारने वाला यह
नेता 2013 मे भाजपा प्रत्याशी रामलाल रौतेल का जब विरोध करता है तो 11000 मतों से
चुनाव जीतते हैं। लेकिन जब यही नेता 2018 के चुनाव में साथ खड़ा दिखता है तो 15000
मतों से चुनाव हार जाते हैं। जाहिर है कि इनकी स्वयं की छवि इतनी खराब है कि जनता
इन्हे बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है। यदि ये दोनों नेता मंत्री से ऐसे ही चिपके
रहे तो इनका तो भला हो जाएगा लेकिन मंत्री की जीत खतरे में जरुर पड़ जाएगी। ऐसे
में अनूपपुर यदि 2003 का इतिहास दोहरा दे तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होगा।