पहली बरसात में ढहा
था 15 लाख का निर्माण, जांच अधूरी
नर्मदा तट के सिवनी
संगम पर सैकड़ो वर्ष पुरान है दुर्लभ कल्पतरू
अनूपपुर। जिस
कल्पवृक्ष का जिक्र ग्रंथ और पुराणों में है, वह दुर्लभ व
पौराणिक कल्पवृक्ष अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ विकाशखण्ड में मौजूद है, वर्षो की आयु वाला यह कल्पवृक्ष नर्मदा तट के ढलान पर कल्पवृक्ष की
जडों से मिट्टी की कटान से जड़ का बडा हिस्सा दिखाई देने लगा है, ऐसे में इसके गिरने का खतरा बना है। धार्मिक और आस्था के कारण लोग मन्नतें-प्रार्थनाएं पूरी होने की
उम्मीद में यहां पहुंचते है।
जिले के जनपद
पंचायत पुष्पराजगढ़ अंतर्गत ग्राम पंचायत दमेहड़ी के शिवनीसंगम गांव जहां नर्मदा तट
पर वर्षो पुराना विशाल कल्पवृक्ष है, वेद और पुराणों में
भी इसका उल्लेख मिलता है। कल्पवृक्ष स्वर्ग का एक विशेष वृक्ष है, धार्मिक ग्रंथों में भी कल्पवृक्ष का उल्लेख है, जिसे मनोकामना पूर्ति का प्रमुख माध्यम माना गया है। पौराणिक
धर्मग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि इस वृक्ष के नीचे
बैठकर व्यक्ति जो भी इच्छा करता है वह पूर्ण हो जाती है, क्योंकि इस वृक्ष में अपार सकारात्मक ऊर्जा होती है, पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन के 14 रत्नों में से एक कल्पवृक्ष
की भी उत्पत्ति हुई थी, समुद्र मंथन से प्राप्त यह वृक्ष
देवराज इन्द्र को दे दिया गया था और इन्द्र ने इसकी स्थापना सुरकानन वन हिमालय के
उत्तर में में कर दी थी, जिसके प्रति स्थानीय श्रद्धालुओं की
अपार श्रद्धा बनी रहती है।
पहली बरसात में ढहा
15 लाख का निर्माण
प्रशासन की
उदासीनता और देखरेख के अभाव में कल्पवृक्ष की सुरक्षा व्यवस्था एवं मिट्टी संरक्षण
के नाम पर ग्रामीणों द्वारा अपनी धरोहर को सहेजते हुए सुरक्षित करने के उद्देश्य
से महज गिनती के बांस लगाकर घेराबन्दी की गई थी परंतु नर्मदा नदी तरफ के हिस्से
में हर वर्ष बरसात के दिनों में मिट्टी का कटाव बदस्तूर जारी है जिससे कल्प वृक्ष
का अस्तित्व खतरे में है। जिसे लेकर स्थानिय निवासियों सहित पार्यावरणविद् सुरक्षा
के लिए कई बार गुहार लगाई। इसके बाद जिला प्रशासन ने संज्ञान में लेकर कल्पवृक्ष के आसपास की मिट्टी कटाव को रोकने के वर्ष
2015-16 में पन्द्रहवें वित्त से लगभग 15 लाख रुपये स्वीकृत किये गये थे, जिसमें कंक्रीट रिटर्निंग बाल चबूतरा निर्माण एवं समतलीकरण कार्य
कराया जाना था, परन्तु निर्माण एजेंसी ने तत्कालीन उपयंत्री
से मिलकर गुणवत्ताविहीन कार्य कराया गया, और रिटर्निंग बाल
पहली ही बरसात में धराशायी हो कर नर्मदा नदी में समा गया। इसके बाद कलेक्टर आशीष
वशिष्ठ ने अधिकारियों को पुन: निर्माण के लिए निर्देशत किया।
निर्माण कार्यों का
कलेक्टर ने लिया जायजा
कल्पवृक्ष के भूमि
क्षरण बचाव के लिए किए जा रहे निर्माण कार्यों का जायजा बुधवार को कलेक्टर आशीष वशिष्ठ एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तन्मय
वशिष्ठ शर्मा ने जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तथा सहायक
यंत्री अमन डेहरिया के साथ निर्माण कार्यों का जायजा लेते हुए कार्यों की गुणवत्ता
के मानक का पालन किए जाने के संबंध में निर्देश दिए। निर्माण कार्य के संविदाकार
को मजदूरों की संख्या बढ़ाकर निर्माण कार्य में तेजी लाने तथा मार्च माह में कार्य
की पूर्णता के निर्देश दिए। कार्यों की नियमित मॉनीटरिंग करने जनपद पंचायत
पुष्पराजगढ़ के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को निर्देशित किया।
कल्पवृक्ष की पूजा
बगैर पूर्ण नहीं होती नर्मदा परिक्रमा
मान्यता है कि
नर्मदा तट पर स्थित यह कल्पवृक्ष जिसका पूजन किए बगैर नर्मदा परिक्रमा पूर्ण नहीं
होती है, इस वजह से प्रतिदिन सैकड़ों
परिक्रमावासी यहां पूजन के लिये आते हैं, इसके साथ ही मकर
संक्रांति तथा महाशिवरात्रि के दिन यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु एकत्रित
होते हैं।
अस्थमा और आंख की बीमारी
भी होती है दूर
ग्रमीणों के अनुसार
इसकी कल्पवृक्ष की आयु हजारों वर्ष से भी अधिक बताई जा रही है। कल्पवृक्ष के फल
में प्रचुर मात्रा में विटामिन बी और सी होता है तथा स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा
इसका उपयोग अस्थमा तथा आंख से संबंधित रोगों को दूर करने में उपयोग किया जाता है
जो बीमारियों को दूर करने में भी सहायक होती है।
बोधि वृक्ष की तर्ज
पर होनी चाहिए कल्पवृक्ष की सुरक्षा :
क्षेत्र में स्थापित अमूल्य धरोहर की सम्पूर्ण सुरक्षा की मांग करते हुये ग्रामीणों
ने बताया की जिस तरह रायसेन जिले के सलामतपुर की पहाड़ी में लगा देश के सबसे
वीआईपी वोधि वृक्ष जिसमे चार सुरक्षा कर्मी 24 घंटे पहरा देते है। कुछ इसी तरह से कल्पवृक्ष
की सुरक्षा होनी चाहिए।