मामला पुष्पराजगढ़ विकाशखंड में
अनूपपुर। पुष्पराजगढ़
अंतर्गत मुख्यमंत्री पेयजल योजना के तहत चयनित 8 गांव सरई, उफरीकला, बरटोला, खजुरवार, मोंहदी, गोंदा, करौंदी और बरबसपुर में लगभग
1 करोड़
की लागत से उपलब्ध कराई जाने वाली स्वच्छ पेयजल
योजना भ्रष्टाचार की भेट चढ़ती नजर आ रही है। जहां तय मापदंडो का पालन न करते हुए जिम्मेदार
विभाग ने कागजो में खाना पूर्ति कर कार्य पूर्ण करने का प्रमाणपत्र जारी करने का प्रयास
किया है। यहीं नहीं लाखों की राशि भी बिना कार्यो की जांच पड़ताल परिचितों के नाम कर
दिया है। महज सहमति पत्र के आधार पर लाखो का बिल आहरित कर लिया गया, वो भी सिर्फ उपयंत्री के माध्यम से। जबकि विभागीय एसडीओ की बिना
सहमति बिल का आहरण नहीं किया जा सकता। पुष्पराजगढ़ तहसील के 8 ग्राम पंचायतों का चयन पायलट
प्रोजेक्ट योजना के तहत किया गया है। इन गांवों में ट्यूबवेल के माध्यम से जल निकासी
कर बनाई गई पानी टंकी में पानी संचय कर पाइपों के माध्यम से घर-घर शुद्ध पेयजल पहुंचाने
का प्रावधान है। प्रत्येक चयनित ग्राम में तीन ट्यूबवेल का खनन कर लगभग 24 घंटे हैवी समर्सियल पंप के
माध्यम से टेस्टिंग की जाएगी। जिससे जल क्षमता का सही आंकलन किया जा सके, यह योजना अपने शुरूआती दौर
में है। अबतक इस योजना के तहत उपरोक्त चिन्हित गांवों में ट्यूबवेलों का खनन किया जाना
बताया जाता है। और जल क्षमता टेस्टिंग के लिए टेंडर के माध्यम से उत्कर्ष इन्फ्राटेक्चर
को काम मिला था। जिसने समय सीमा पर कार्य पूर्ण नहीं किया। जिसके बाद विभाग ने टेंडर
प्रक्रिया का पालन किए बिना महज सहमति पत्र के आधार पर अन्य वेंडर को वर्क ऑर्डर दे
दिया। विभागीय जानकारी के अनुसार पुष्पराजगढ़ मे कराए गए 32 बोरवेल की परीक्षण के नाम
से भी फर्जीवाड़ा सामने आया है।