अनूपपुर। मध्यप्रदेश के सीधी जिले की आदिवासी पर पेशाब करने की शर्मनाक टेढ़ी घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया है, आदिवासी युवक दशमत रावत पर जिस तरह से भाजपा नेता प्रवेश शुक्ला शराब और सत्ता के नशे में चूर होकर इत्मीनान से अमानवीय कृत्य कर रहा था उसे देखकर हर कोई सहम गया। आदिवासी युवक पर पेशाब करते भाजपा नेता प्रवेश शुक्ला का वीडियो सामने आया तो हड़कंप मच गया। तुरंत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक्शन में आए और आरोपी पर कड़ी कार्रवाई करने के साथ ही रासुका लगाने के निर्देश दिए। घटना के कुछ घंटों बाद आरोपी प्रवेश शुक्ला को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और दूसरे दिन उसके घर बुलडोजर भी चला। प्रवेश को सजा मिलनी भी चाहिए लेकिन क्या घर पर बुलडोजर चलना यह परिवार वालो के लिए न्याय संगत है। प्रदेश के मुखिया ने चुनावी वोट बैंक के लिए अपना आदिवासी प्रेम दिखा घर की मातायें बहने व पूरे परिवार को बिलखता हुआ बेघर कर दिया,यह कहा का न्याय है? क्या यह आपकी लाड़ली बहना नहीं है?।
सरकार
ने तो घर तोड़वाकर अपना आदिवासी प्रेम दिखा दिया। लेकिन प्रदेश में जाति के आधार पर
दो विधान कैसे हो सकते है?, इसी मध्यप्रदेश के
शिवपुरी में जब दलितों ने युवक विकाश शर्मा के पूजा वाले लोटे में पेशाब कर के उसे
जबरजस्ती पिला दिया था। विकाश आत्मग्लानि में आत्महत्या कर लिया था पर
मुख्यमंत्री ने अपराधियों में कोई कार्यवाही नही की थी, न किसी अपराधी के घर मे बुलडोजर चले थे और न ही किसी में
रासुका लगी कारण उस समय चुनावी वर्ष नहीं था। जबकि रीवा में अपरोति के पिता द्वारा
कहा जा रहा था कि लड़के ने अपराध किया है। उसे फांसी दे दो लेकिन पिता की बात पर
विचार करने के बजाय सीधे उनके घर पर बुलडोजर चला दिया गया। प्रदेश में
प्रजातांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकार है जो संविधान एवं कानून से चलनी चाहिए
लेकिन किसी भी अपराध में अपराधी को कानून में निहित प्रावधानों के विपरित तालीबानी
फरमान जारी कर सजा देना कहां का न्याय है। चूँकि प्रवेश शुक्ल भाजपा का कार्यकर्ता
था तो प्रदेश के मुखिया को आत्मग्लानि का बोध हुआ और उन्होंने आनन फानन मैं
आदिवासी युवक को बुला कर प्रायश्चित किया और उसके पखार कर माथे पर लगा लिया,जो की करना भी चाहिए था। लेकिन पूरे घटना क्रम की विडिओ
रिकार्डिंग करना क्या यह आने वाले चुनाव में आदिवासियों को रिझाने के लिया सोच समझ
कर किया कृत्य तो नहीं हैं?
कारण
पिछले चुनाव मैं भाजपा प्रदेश की आदिवासी
सीटों पर काफी कमजोर थी, हालाँकि रीवा की घटना का
हम समर्थन नहीं करते हर तरह से निंदनीय ह और सभ्य समाज पर एक करारा तमाचा हैं। हम
आज किस समाज में जी रहे जहां पढ़ा लिखा एक युवक इस तरह का घृणित अपराध करता है
जिसके छींटे पूरे देश की अस्मिता पर पड़ते दिखाई दे रहे है। परन्तु हमारे मुख्यमंत्री का इस घटना पर इतना त्वरित प्रायश्चित
करना और भावुक होना कहीं न कहीं इस घटना के माध्यम से अपने चुनावी रथ को साधने की
एक प्रयास है, अगर प्रदेश के मुखिया सच
में प्रदेश का भला चाहते है तो शिवपुरी की घटना पर चुप्पी नहीं साधते और रीवा की घटना
पर त्वरित कार्यवाई सवाल खडे करती हैं। एक समाज को प्यार एक को दुत्कार यह न्याय
नहीं।
रीवा
की घटना आरोपित शराब के नशे पर कृत्य करना बताया गया तो मुख्यमंत्री विकाश के घर
बुलडोजर चाने के बाद प्रदेश में शराबबंदी पर कार्यवाही करते तो लगता कि मुख्यमंत्री
समाज के प्रति चिंतित हैं। जबकि शराब बंदी के लिए लगातार बड़े नेताओ द्वारा मांग की
जा रही है। जिससे समाज के मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य में सुधार हो, और भविष्य में जनसंख्या स्वस्थ होगी। घटना का प्रमुख कारण
आरोपित द्वारा किया राजनैतिक नशे के साथ शराब का नशा भी था जो इस तरह का उन्माद
पैदा करता हैं और जिसके कारण यह घृणित अपराध घटित हुआ।
यह
आलेख लेखक के स्वतंत्र विचार हैं।