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मंगलवार, 22 जनवरी 2019

सांसद नहीं करा सके रेल सुविधाओं का विस्तार, रेलमंत्री इन्हे नही देते तबज्जो

पत्राचार तक सिमटे नेता,गंभीर प्रयासों का दिखा आभाव
अनूपपुर मप्र-छत्तीसगढ़  की सीमा पर स्थित अनूपपुर जिला रेल सुविधाओं के विस्तार से अछूता है। अंबिकापुर से नागपुर ट्रेन सुविधा की वर्षों से मांग होती रही है। कई सांसदों,विधायकों के साथ बहुत से छोटे बडे जनप्रतिनिधियों, नेताओं, समाजसेवी संगठनों ने रेल विभाग से पत्राचार किया,लेकिन परिणाम वही ढ़ाक के तीन पात ही रहा। जानकारी के अनुसार नये घटनाक्रम में  छत्तीसगढ़ शासन के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री टी.एस.सिंह देव ने रेलमंत्री  पीयूष गोयल  को रेल विस्तार एवं सुविधा के संबंध में पत्र लिखा है। इसमें गोंदिया से अम्बिकापुर दो दिवसीय सप्ताहिक ट्रेन,अम्बिकापुर से नई दिल्ली वाया भोपाल ट्रेन,अंबिकापुर से रायपुर मेमू, अंबिकापुर से दुर्ग तक चलने वाली ट्रेन का नागपुर तक विस्तार,बरौनी गोंदिया 15231 गोंदिया बरौनी 15232 का विस्तार नागपुर तक,अंबिकापुर जबलपुर ट्रेन का हबीबगंज तक विस्तार तथा जबलपुर संतरागाछी हमसफर का अनूपपुर जंक्शन में ठहराव किये जाने की मांग की गई है।
दर असल समय-समय पर रेल मंत्री, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को ट्रेन सुविधा एवं विस्तार के संबंध में ऐसे पत्र  दशकों से लिखे व भेजे जा रहे हैं। लेकिन इसमें जरा भी गति आई हो ऐसा लगा नहीं। इस क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग इलाज हेतु प्रतिदिन नागपुर जाते हैं। नागपुर मे सस्ता व अच्छा इलाज होने के कारण वह बड़ा मेडिकल हब बन कर उभरा है। अंबिकापुर, अनूपपुर, रीवा, मंडला, शहडोल एवं उमरिया से मरीज इलाज के लिये जाते हैं। यह कोई पर्यटन या छुट्टी बिताने,तफरी के लिये की जाने वाली यात्रा नहीं है। कोई मरीज,उसके परिजन बीमारी की दशा मे नागपुर जाने के लिये या तो पहले बिलासपुर जाकर,वहां घंटो इंतजार करने के बाद दूसरी ट्रेन पकड़ कर नागपुर जाते हैं या बेहद मजबूरी मे सड़क मार्ग से लंबी यात्रा करते हैं। कोई सीधी ट्रेन सुविधा नहीं है। इसके लिये लोगों द्वारा लंबे समय से मांग की जाती रही है। शहडोल के पूर्व सांसद स्व. दलपत सिंह परस्ते, पूर्व सांसद स्व.राजेश नन्दिनी सिंह ने इसके लिये पत्राचार किया,दोनो अब दुनिया मे नहीं रहे। वर्तमान सांसद ज्ञान सिंह के साथ बहुत से नेताओं ने मांग की। अनूपपुर-शहडोल-अबिकापुर प्रवास पर आने वाले जी एम,डीआरएम से हर बार यह मांग उठती रही है। किन्तु मामला वहीं ढ़ाक के तीन पांत ही रहा। इतना ही नहीं समाचार पत्रों ने इतनी खबरे छापी कि किताब बन जाए। अब सवाल यह है कि या तो हमारे सांसद,पूर्व सांसद, विधायक, जनप्रतिनिधि इतने कमजोर और असहाय हैं या थे कि दिल्ली में इन्हे कोई महत्व देता नहीं। या फिर इन सबने गंभीर प्रयास किया ही नहीं, सिवाय पत्र लिख कर पत्रकारों तक वायरल करने के अलावा। या यह भी कि रेल मंत्रालय आम जनता की इस नितांत जरुरी आवश्यकता की गंभीरता को समझने की कोशिश ही नहीं कर रहा। तब सवाल है कि क्या रेल सुविधाओं के लिये आम जनता को ट्रैक पर आना होगा। क्या मरीजों को सुविधा दिलाने के लिये जन आन्दोलन की राह अपनाना होगा। चुनाव के कगार पर खड़ी किसी सरकार के लिये यह बेहतर संकेत नहीं है। अच्छा हो कि जनता की इस मांग पर रेल मंत्रालय शीघ्र कदम उठाए।

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